⭕ विज्ञान और तकनीक की दुनिया में कदम रखो, क्योंकि यही वो चाबी है जो भविष्य के दरवाजे खोलती है-डॉ. संजय गुप्ता।
⭕ एक छात्र के रूप में, आपके हाथ में न केवल किताबें हैं, बल्कि उन किताबों से बाहर की दुनिया को बदलने की शक्ति भी है-डॉ. संजय गुप्ता ।
कोरबा, 25 अगस्त (वेदांत सामाचार)। अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में की गई प्रगति को मान्यता देता है। 23 अगस्त, 2023 को ही सरकार ने घोषणा की थी कि 2024 से इस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा। भारत 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया।
इस वर्ष के राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का विषय है ” चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा। ” यह विषय अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की असाधारण यात्रा और समाज पर इसके प्रभाव को दर्शाता है।अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने निरंतर प्रगति की है और कई मामलों में साबित कर दिखाया है कि दुनिया के किसी भी विकसित देश से वह पीछे नहीं है। अब कई देश भारत के प्रक्षेपण यान से अपने उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने लगे हैं, इनमें ऐसे देश भी शामिल हैं जिनके पास उपग्रह प्रक्षेपण की उन्नत तकनीक है।
भर में इसरो छह प्रमुख केंद्र तथा कई अन्य इकाइयाँ, एजेंसी, सुविधाएँ और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण दुनिया भर के लोगों की कल्पना को पकड़ता है और उन्हें प्रेरित करता है। यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में रुचि को प्रोत्साहित करता है, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी को बढ़ावा देता है। अंतरिक्ष अन्वेषण में उपलब्धियाँ इस बात की याद दिलाती हैं कि मानवता सहयोग और दृढ़ता के माध्यम से क्या हासिल कर सकती है।
अंतरिक्ष विज्ञान उपग्रह निगरानी, संचार और नेविगेशन प्रणालियों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देता है। इसके अतिरिक्त, अंतरिक्ष मिशनों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे साझा ज्ञान, संसाधन और लक्ष्य प्राप्त होते हैं।
भविष्य की खोज और अस्तित्व: जैसे-जैसे पृथ्वी के संसाधन लगातार कम होते जा रहे हैं, अंतरिक्ष विज्ञान अन्य ग्रहों की खोज और संभावित रूप से उपनिवेश बनाने की संभावना प्रदान करता है। इस क्षेत्र में अनुसंधान एक दिन मंगल या अन्य खगोलीय पिंडों पर मानव बस्तियों की स्थापना की ओर ले जा सकता है, जिससे मानवता का दीर्घकालिक अस्तित्व सुनिश्चित हो सके।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों के मन में विज्ञान के प्रति रुचि जागृत करने हेतु विभिन्न एक्टिविटी आयोजित की गई।विभिन्न रोचक विज्ञान प्रश्नोत्तरी के माध्यम से विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया गया। साथ ही विद्यार्थीयो को भारत के अंतरिक्ष में विशेष उपलब्धि चंद्रयान 3 के बारे में भी जानकारी दी गई। विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया कि अंतरिक्ष में किस प्रकार कोई सैटेलाइट किसी ग्रह पर लैंड करता है ।चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग कैसे हुई इसके बारे में भी विद्यार्थियों को विस्तार से समझाया गया। विद्यार्थियों ने चंद्रयान 3 और सेटेलाइट के विभिन्न मॉडल बनाकर भी विज्ञान के प्रति अपनी रुचि जाहिर की।
भौतिक विज्ञान के शिक्षक श्री बीरेंद्र गुप्ता विद्यार्थियों को अंतरिक्ष की वातावरण के बारे में विस्तार से बताया। किसी भी उपग्रह में किस प्रकार के ईंधन का प्रयोग किया जाता है उसकी बॉडी किन-किन मेटल से बनी होती है ।इन सभी के बारे में विस्तार से श्री बीरेंद्र गुप्ता ने विद्यार्थी को बताए।
रसायन विज्ञान के शिक्षक श्री अजीत कुमार ने विद्यार्थियों को समझाया कि किस प्रकार कोई रॉकेट या कोई सैटेलाइट लैंड होता है और किस प्रकार वह टेक ऑफ करता है। अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री की जीवन शैली कैसे होती है इसके बारे में भी श्री अजीत कुमार ने विद्यार्थियों को विस्तार से समझाया। सुश्री पारुल पदवार ने बताया कि आज की स्थिति में किस प्रकार पूरी दुनिया अंतरिक्ष में जीवन की तलाश कर रही है। अंतरिक्ष में नई संभावना खोज रही है। अंतरिक्ष रहस्यों का खजाना है ।इस रहस्य से प्रतिदिन पर्दा उठाने का प्रयास किया जा रहा है ।आज इंसान जमीन तो जमीन अंतरिक्ष में भी अपनी पहुंच बन चुका है। यह बहुत रोचक विषय है ।अंतरिक्ष विज्ञान में हम अध्ययन कर अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि
अंतरिक्ष विज्ञान ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने और पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अंतरिक्ष विज्ञान हमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विकास और संरचना का पता लगाने और समझने में मदद करता है। आकाशीय पिंडों, ब्रह्मांडीय घटनाओं और अंतरिक्ष में भौतिकी के नियमों का अध्ययन करके, हम अस्तित्व के बारे में मूलभूत प्रश्नों, जैसे कि सितारों, आकाशगंगाओं और ग्रह प्रणालियों के निर्माण के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। अंतरिक्ष अन्वेषण नवाचार और नई तकनीकों के विकास को बढ़ावा देता है। अंतरिक्ष मिशनों के लिए शुरू में विकसित की गई कई तकनीकें, जैसे कि उपग्रह संचार, जीपीएस और उन्नत सामग्री, रोजमर्रा की जिंदगी में व्यापक रूप से उपयोग की गई हैं। ये नवाचार अक्सर चिकित्सा, परिवहन और संचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की ओर ले जाते हैं। उपग्रह और अंतरिक्ष-आधारित उपकरण पृथ्वी के पर्यावरण की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, वनों की कटाई, महासागर स्वास्थ्य और बहुत कुछ पर मूल्यवान डेटा प्रदान करते हैं। पर्यावरण संरक्षण, संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए यह जानकारी आवश्यक है। अंतरिक्ष विज्ञान वैज्ञानिकों को ऐसे प्रयोग और अनुसंधान करने में सक्षम बनाता है जो पृथ्वी पर संभव नहीं हैं। उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान ने जीव विज्ञान, भौतिकी और सामग्री विज्ञान में खोजों को जन्म दिया है। इन निष्कर्षों में चिकित्सा, विनिर्माण और अन्य उद्योगों में संभावित अनुप्रयोग हैं। संक्षेप में, अंतरिक्ष विज्ञान हमारे ज्ञान का विस्तार करने, तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए आवश्यक है।
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