क्या है ग्रीन हाइड्रोजन, जो पेट्रोल-डीजल से दिलाएगा छुटकारा?

भारत हर साल ऊर्जा प्राप्त करने के लिए 12 लाख करोड़ रुपए आवंटित करता है, जिसमें से अधिकतर हिस्सा जीवाश्म ईंधन के नाम जाता है, जैसे- पेट्रोल, डीजल और कोयला। इससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है, जलवायु गर्म होती है, मौसम बदलता है और फिर ढेरों आपदाएँ आती हैं। ग्रीन हाइड्रोजन से जीवाश्म ईंधन की खपत कम होगी और धीरे-धीरे मौसम का मिजाज सुधरेगा, साथ ही गर्मी कम होती चली जाएगी।
पूरी दुनिया को पता है कि H2O यानी पानी, सामान्य भाषा में इसमें दो कण हाइड्रोजन (H2) के हैं और एक हिस्सा ऑक्सीजन (O) का है। अब अगर इन्हें इलेक्ट्रोलाइज़र से अलग कर दें, तो जो हाइड्रोजन बचेगा, वह है ग्रीन हाइड्रोजन। इलेक्ट्रोलाइज़र वह धातु (मेटल) है, जो बिजली का करंट पैदा करके अणुओं (मॉलिक्यूल्स) को तोड़ने का काम करता है।

भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन


भारत ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन बनाया है, ताकि ग्रीन हाइड्रोजन का टारगेट जल्दी पूरा किया जा सके। कैसे प्रोडक्शन होना है, कहाँ होना है, कितना एक्सपोर्ट करना है, साथ ही इसकी मदद से जमीन का सही इस्तेमाल कर सोलर और विंड एनर्जी की तैयारी करना है, क्योंकि इन्हीं मदद से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने में मदद मिलेगी। मिशन स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में योगदान देगा। यह मिशन अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण डीकार्बनाइज़ेशन, जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन में टेक्नोलॉजी और मार्केट लीडरशिप संभालने में सक्षम करेगा। इस मिशन से 2030 तक प्रति वर्ष 5 एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित होने की उम्मीद है। अनुमान है कि ग्रीन हाइड्रोजन के लक्षित मात्रा के उत्पादन, उपयोग के माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी सीओ2 उत्सर्जन को रोका जा सकता है। देश में इलेक्ट्रोलाइज़र्स के निर्माण के लिए स्ट्रैटेजिक इंटरवेंशन फॉर ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन (साइट) योजना के तहत बड़े स्तर पर किया जा रहा है। अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ समेत 13 कम्पनियाँ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं।

इलेक्ट्रोलाइज़र्स के लिए क्या है अदाणी की रणनीति
अदाणी की लक्ष्य है 2030 तक 1.0 एमएमटीपीए जीएच2 के पहले फेज के लिए ग्रीन हाइड्रोजन के इकोसिस्टम को तैयार करना साथ ही परफॉर्मेंस में सुधार लाने के लिए इलेक्ट्रोलाइज़र टेस्टिंग लैब की स्थापना और पीएलआई योजना के तहत 198.5 मेगावाट क्षमता हासिल की (किश्त 1) इलेक्ट्रोलाइज़र मैन्युफैक्चरिंग सुविधा से लैस होना है, ताकि यह 2025 तक चालू हो सके। इसके अलावा इलेक्ट्रोलाइज़र के 90% स्वदेशीकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मजबूत सप्लाई चैन विकसित बहुत महत्वपूर्ण है, जिसके लिए अदाणी ने कैवेंडिश रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी (ऑस्ट्रेलिया) और हाइडेप (इटली) इलेक्ट्रोलाइज़र टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स के साथ हाल मिलाया है।

ग्रीन हाइड्रोजन से होगा फायदा


फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफसीईवी) हाइड्रोजन फ्यूल पर ही चलेंगे और इससे कोई प्रदूषण भी नहीं होगा। हल्के यात्री वाहनों के लिए बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (बीईवी) सही रहते हैं, ताकि कम दूरी में आसानी से बिना प्रदूषण के कवर की जा सके। उद्योगों को भी इसका फायदा मिला। लोहा और स्टील उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री में हाइड्रोजन कोयले की जगह ले सकता है। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन वाले उद्योगों में एक स्टील इंडस्ट्री है। इस सेक्टर को अगर ग्रीन हाइड्रोजन से जोड़ दें, तो दुनिया में प्रदूषण की मात्रा कम हो जाएगी। इसका असर जलवायु पर सकारात्मक पड़ेगा।