IPS Dipka के छात्र-छात्रा अवगत हुए ‘गुड टच और बैड टच’ से, बच्चों को अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श के बारे में सिखाना उन्हें आत्म-संरक्षण और मदद मांगने के लिए सशक्त बनाता है – डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा,22 अगस्त (वेदांत समाचार)। बदलते परिवेश को देखते हुए माता-पिता एवं विद्यालय की यह जिम्मेदारी अत्यावश्यक रुप से बनती है वे बच्चों को यौन शिक्षा के साथ ही साथ अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर पहचानने की भी जानकारी दें। ताकि बच्चे स्वयं भी अपनी सुरक्षा को लेकर आष्वस्त हों एवं भविष्य में यदि ऐसी कोई स्थिति निर्मित भी होती है तो ऐसी परिसिथयों से वे भली-भाँति डटकर सामना कर सकें ।


उपरोक्त बातों के मद्देनजर आइ0पी 0एस0 -दीपका में ‘गुड टच और बैड टच’ से संबंधित एक कार्याशाला एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय की शिक्षिकाओं द्वारा बालिकाओं को एवं शिक्षकों द्वारा बालकों को ‘गुड टच और बैड टच’ से संबंधित जानकारी दी गई एवं भविष्य में उनसे सुरक्षा एवं बचाव हेतु निर्देशित किया गया।
विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती रुमकी हालदार ने कहा कि विद्यालय में बच्चों को इस प्रकार की जानकारी देना निश्चित रुप से काबिलेतारीफ है, क्योंकि प्रतिदिन हम समाचार पत्रों में विभिन्न प्रकार के बाल एवं यौन शोषण से संबंधित खबरें पढ़ते हैं। यदि प्रारंभ से ही हम जागरुक होकर इस दिशा में सकारात्मक प्रयास करें तो परिणाम भी हमें सकारात्मक ही मिलेंगे।


विद्यालय की शिक्षिका एवं अभिभावक श्रीमती स्वाति सिंह ने कहा कि स्कूल में इस प्रकार की जानकारी देना न सिर्फ बच्चों के लिए अपितु अभिभावकों के लिए भी लाभदायक है। हमें बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही ‘गुड टच और बैड टच’ की जानकारी देकर जागरुक करना चाहिए क्योंकि हम हर स्थान पर उनके साथ नहीं होते। विद्यार्थियों को गुड टच एंड बैड टच से संबंधित जानकारी एवम डिमॉन्सट्रेशन में स्वाती सिंह, रूमकी हलदर, अल्का वैष्णव, मधु चंदा पात्रों, सीमा कौर सहित अन्य शिक्षिकाओं का भी सहयोग रहा I


विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में यदि स्कूलों में एक स्वस्थ शिक्षा का माहौल निर्मित करना है तो सर्वप्रथम हमें बच्चों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाना होगा। आज के बदलते परिवेश में अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर पहचानना शिक्षा की आवश्यकता है। विद्यार्थियों के लिए एक सर्वोत्तम अभिप्रेरक एक आदर्श शिक्षक ही होता है ।अतः विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तक से संबंधित जानकारियों के अलावा व्यक्तिगत अंतःशारीरिक सुरक्षा की जानकारी देना भी अत्यावश्यक हो जाता है।


आजकल पाठ्क्रमों में भी सरकार के द्वारा यौन शिक्षा को एक विषय के रुप में सम्मिलित करने हेतु प्रयास किया जा रहा है।जिससे छात्र-छात्रा अपनी सीमा एवं सुरक्षा से अवगत होंगे। बच्चे हमारे भावी राष्ट्र निर्माता हैं। अतः उन्हें एक गुणात्मक एवं सुसंस्कृत और स्वस्थ शैक्षणिक माहौल प्रदान करना हमारा उद्देश्य रहेगा।