नई दिल्ली,21 अगस्त (वेदांत समाचार)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आरक्षण के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो देश के शिक्षा क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के मेधावी छात्रों को सामान्य सीटों पर प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया था।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथ की पीठ ने कहा, “अगर SC, ST और OBC के प्रतिभावान छात्र अपनी योग्यता के आधार पर सामान्य सीटों पर प्रवेश पाने के योग्य हैं, तो उन्हें आरक्षित सीटों पर दाखिला नहीं दिया जाना चाहिए।” इस फैसले में कोर्ट ने सौरव यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में दिए गए अपने पूर्व के फैसले का भी समर्थन किया।
यह मामला मध्य प्रदेश में MBBS सीटों के आवंटन से जुड़ा है, जहां 5 प्रतिशत सीटें सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए आरक्षित थीं। कुछ छात्रों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों को सामान्य सीट पर प्रवेश दिया जाए, लेकिन हाई कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था। इसके बाद राम नरेश कुशवाह और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां उन्हें न्याय मिला।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने आरक्षण नीति के भीतर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जो योग्यता को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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