बच्चों से ज्यादा बड़ों में सुधार की आवश्यकता होती है : ऋषभ सागर

बालोद,28 जुलाई। chhattisagarh news अच्छा परिवार एवम संस्कारी परिवार तो सभी चाहते हैं किंतु इसकी प्राप्ति किसी साधना से कम नहीं। अच्छे परिवार के लिए अच्छे गुणों के संस्कार बचपन में ही डेवलप करना पड़ता है।

उक्ताशय के विचार संत ऋषभ सागर ने ‘हम स्वर्ग धरा पर लाएंगे’ शिविर के 7वें दिन अपने प्रवचन में व्यक्त किए । उन्होंने कहा की परिवार के बड़ों में ही प्रेम ,त्याग ,सहनशीलता,अनुशासन ,विश्वास और एक दूसरे को सहयोग देने का भाव हो तो बच्चों में भी उसका प्रभाव पड़ता है। बच्चे तो जल्दी सीख जाते हैं मुझे लगता है सुधार की आवश्यकता बड़ों में ज्यादा होती है। क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं जो देखते हैं और सुनते हैं। अच्छा परिवार एवम सुखी परिवार, परिवार जनों के संयुक्त प्रयास से ही संभव है। परिवार में सभी सदस्यों के विचारों में समानता हो ऐसा संभव नहीं होता किन्तु प्रेम और सामंजस्य से सब का दिल जीता जा सकता है। अच्छा परिवार बनाने के लिए त्याग और समर्पण करना पड़ता है। निजी स्वार्थ और अहंकार का त्याग करना पड़ता है। सारे विवाद की जड़ स्वार्थ और अहंकार ही होता है। बच्चों के व्यवहार में विनय और विवेक हो इसका प्रशिक्षण भी घर से तथा बड़ों के व्यवहार से ही दिया जा सकता है। इसलिए घर के बड़े सदस्य अपने व्यवहार में इसे लाएं। स्वर्ग जैसा सुख और शांति धरा पर लाना कठिन जरुर है पर असंभव नहीं।

चातुर्मास में 68 दिवसीय इकासना के अतिरिक्त अन्य तपस्याएं भी चल रही है। संत श्री के दर्शन वंदन एवम प्रवचन का लाभ लेने दल्ली राजहरा से संघ के सदस्य पहुंचे थे जिनका चातुर्मास समिति द्वारा बहुमान किया गया।