नई दिल्ली,27 जुलाई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि संसद को राजनीति का अधिकार बनाना घातक है और कोचिंग एवं शिक्षा का व्यावसायीकरण किसी भी राष्ट्र के विकास में बाधक है। श्री धनखड़ ने शुक्रवार देर शाम यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय के 77वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को अपनी सीमाओं से बाहर आकर सामान्य अवसरों से आगे देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोचिंग और शिक्षा का व्यवसायीकरण किसी भी राष्ट्र के विकास में बाधक कारक है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को दी जाने वाली शिक्षा में आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान को पारंपरिक भारतीय मूल्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। शिक्षा सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र है जो समानता लाता है और असमानताओं को रोकता और खत्म करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना मानव विकास के लिए मौलिक है।
संसद में व्यवधान और बाधा को राजनीति का हथियार बनाने पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने युवाओं से इन गतिविधियों पर ध्यान देने और हमेशा अपनी अंतरात्मा, सच्चाई और राष्ट्रवाद का पक्ष लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संसद बहस, विचार-विमर्श और चर्चा के लिए एक जगह है। आसन के समक्ष आकर नारेबाजी और अनुशासनहीनता को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
श्री धनखड़ ने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे उपलब्ध डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया टूल के माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद करें। युवाओं को ज्वलंत मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए और साझा दृष्टिकोण के लिए समुदायों को संगठित करना चाहिए। युवाओं में यथास्थिति को चुनौती देने और सामाजिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की क्षमता को पहचानते हुए श्री धनखड़ ने युवाओं से सकारात्मक राष्ट्रवादी भूमिका निभाने और भारत के विकास मूल्यों के साथ तालमेल रखने वाले उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए और अपने अंदर छिपी उद्यमशीलता की भावना को बाहर निकालना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज देश में एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र है जहाँ हर कोई अपनी क्षमता का प्रयोग कर सकता है और अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। स्वरोजगार के लिए सामने आ रहे नए अवसरों की सराहना करते हुए, श्री धनखड़ ने युवाओं को आज रोजगार के विकल्पों और सरकार की कौशल संवर्धन और उन्नयन नीतियों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री धनखड़ ने 21वीं सदी की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे युवा दिमागों में आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान और उद्यमशीलता कौशल को विकसित करना आवश्यक है, ताकि उन्हें आधुनिक दुनिया की जटिलताओं से निपटने की क्षमता से लैस किया जा सके।
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