0. धर्म प्रवचन में आचार्य रामेश की शिष्या ने दिए ज्ञान के अनमोल वचन
बालोद,26 जुलाई। समता भवन में चल रही प्रवचन श्रृंखला के दौरान आचार्य रामेश की सुशिष्या शासन दीपिका प्रमिलाश्रीजी ने उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म को सही तरीके से समझना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जब तक हम धर्म का सही अर्थ नहीं समझते, तब तक हम उसमें दृढ़ नहीं रह सकते। धर्म का आचरण हमारे जीवन में कैसे हो, इसे समझना और अपनाना आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि इस मनुष्य जन्म में ही हमें ज्ञान सीखने का अवसर मिलता है। आगम की बातों को समझने की कोशिश करनी चाहिए और ज्ञान सीखने की जिज्ञासा को हर पल बढ़ाना चाहिए।
आचार्य की उपमाएं
साध्वी प्रमिलाश्रीजी ने भंवरों और गोबर के गिडोले की उपमा देते हुए समझाया कि दोनों का रंग काला होता है, लेकिन उनका स्वभाव अलग-अलग होता है। भंवरा फूलों पर मंडराता है और सुगंध देता है, जबकि गिडोला गोबर पर रहता है और दुर्गंध का परिचायक है। उन्होंने कहा कि जो आत्मा धर्म श्रद्धा और सम्यक दर्शन से परिपूर्ण होती है, उसमें फूलों की सुगंध आती है।
धर्म के प्रति समर्पण
साध्वी जी ने बताया कि व्यक्ति को हमेशा देव-गुरु-धर्म के प्रति समर्पित रहना चाहिए। किसी भी आपदा में धर्म पर स्थिर बने रहना चाहिए, चाहे कैसी भी मुश्किल स्थिति उत्पन्न हो। उन्होंने जड़ मूर्तियों की सेवा की बजाय अरिहंत के विनय पर जोर दिया।
इससे पहले साध्वी अनुजाश्रीजी ने बताया कि हम दिन भर में पुण्य से अधिक पाप कार्य में लगे रहते हैं। भगवान महावीर ने पाप को छोड़ने की शिक्षा दी है। पाप करने में रस आता है, लेकिन धर्म का ज्ञान हमारे जीवन में आवश्यक है। पाप की कमाई में कोई भी व्यक्ति हिस्सेदारी नहीं बनना चाहता और पाप छुपाने वाला नहीं होता, यह निरंतर बढ़ता चला जाता है। हमें पाप की आलोचना और प्रायश्चित करना चाहिए।
धर्म सभा का संचालन प्रिया श्रीश्रीमाल ने किया। धर्मनिष्ठ तपस्वी गौरव चौरडिया और सोनम श्रीश्रीमाल ने साध्वी जी के मुखारविंद से 9 उपवास तपस्या का प्रत्याखान ग्रहण किया।
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