‘हम स्वर्ग धरा पर लाएंगे’ शिविर में संत ऋषभ सागर ने बताई परिवार में शांति-प्रेम की महत्ता

बालोद,25 जुलाई। महावीर भवन में आयोजित शिविर “हम स्वर्ग धरा पर लाएंगे” के दौरान संत ऋषभ सागर ने प्रेरणादायक प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि जैसे लोग स्वर्ग प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या करते हैं और कष्ट सहते हैं, उसी तरह हम अपने घर को स्वर्ग बनाने के लिए प्रयास क्यों नहीं कर सकते?

संत ऋषभ सागर ने अपने प्रवचन में कहा, “घर को स्वर्ग बनाने के लिए सबसे पहले हमें यह संकल्प लेना होगा कि किसी भी परिस्थिति में परिवार की शांति भंग नहीं करेंगे। व्यापार और व्यवसाय में हम सभी प्रकार की मुश्किलों का सामना करते हैं, तो फिर परिवार के उचित संचालन में क्या मुश्किल आ सकती है? गलतियां किसी से भी हो सकती हैं, उसके लिए ताना नहीं बल्कि सांत्वना की जरूरत होती है। क्रोध की नहीं, प्रेम की जरूरत होती है, और सलाह की नहीं, सहयोग की आवश्यकता होती है।”

उन्होंने यह भी कहा, “क्रोध में या ताना मारकर बोलने से शब्द घाव का काम करते हैं क्योंकि शब्द किसी शस्त्र से कम नहीं होते। किसी की गलती को बार-बार दोहराएं नहीं, अपनी अपेक्षाओं को किसी पर लादें नहीं, और गलतियों को क्षमा करने का भाव रखें। इन छोटी-छोटी बातों को जीवन में उतारकर परिवार में स्वाभाविक रूप से समन्वय, सुख, और शांति लाई जा सकती है। जिस परिवार में सुख और शांति होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। इस चातुर्मास में अपने अंदर सुधार के लिए संकल्प लें और गलती होने पर उपवास या अन्य किसी रूप में प्रायश्चित करें।”

इस चातुर्मास में तपस्याओं का क्रम भी चल रहा है। श्रीमती कंचन श्रीश्रीमाल, विकास भंसाली, और ऋषभ चौरड़िया वर्षीतप कर रहे हैं। इसके अलावा, श्रेयांश श्रीश्रीमाल ने 9, गौरव चौरड़िया ने 8, और सोनम श्रीश्रीमाल ने भी 8 उपवास किए हैं।

मीडिया प्रभारी डेविड जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि इस शिविर में संत ऋषभ सागर महाराज के प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। शिविर का उद्देश्य लोगों को परिवार में शांति और प्रेम के महत्व को समझाना और उनके जीवन में इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए प्रेरित करना है।

महावीर भवन का यह शिविर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और लोगों को अपने परिवारों को स्वर्ग समान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।