बीते 10 दिनों में ब्लैक फंगस के करीब 110 मरीज मिले, जान बचाने के लिए सर्जरी ही एकमात्र इलाज

भोपाल। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच ही अब एक और खतरा लोगों की सेहत पर मंडराने लगा है। दरअसल कोरोना के इलाज में स्टेरॉइड और एंटीबायोटिक दवाओं का हाईडोज कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दे रहा है, जिसे आम भाषा में ब्लैक फंगस इंफेक्शन भी कहते हैं। बीते 10 दिन में शहर के अस्पतालों में ब्लैक फंगस के करीब 110 मरीज मिले हैं।

शहर के अस्पतालों में इनमें से कई मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी है, इस बारे में विशेषज्ञ का कहना है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज की जान बचाने के लिए संक्रमित हिस्से को निकालना ही बीमारी का एकमात्र इलाज है। ऐसा नहीं है कि यह कोई नई बीमारी है पर इसके मामले पहले साल में 2-3 ही देखने को मिलते थे पर इस बार कोरोना के आफ्टर इफेक्ट के रूप में इस बीमारी के कई मरीज सामने आ रहे हैं।

इससे बचने के लिए जरूरी है कि सेंसेटिव ग्रुप्स जैसे कि डायबिटीज के मरीज, ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, हार्ट के मरीज, कैंसर के मरीज इन्हें यदि कोरोना संक्रमण होता है तो उन्हें खास ध्यान रखने की जरूरत है। खास तौर पर साफ सफाई रखना बेहद जरूरी है..और यदि लक्षण जैसे कि आंख-मुंह से खून निकलना, आंखों में सूजन आना दिखे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।