ग्राम्य भारती महाविद्यालय में हुआ एन ई पी कार्यशाला का आयोजन

विनोद उपाध्याय

कोरबा, 04 जुलाई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को व्यवहार में लाने के लिए छग शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार राज्य स्तर से प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स के द्वारा उच्च शिक्षा शिक्षण संस्थानों में कार्यशाला का आयोजन कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी क्रम में शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार में 04 जुलाई 2024 को शासकीय महाविद्यालय पाली के रसायन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक श्री सुनील कंवर ने एक दिवसीय कार्यशाला में महाविद्यालय प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक एवं अधिकारी-कर्मचारियों को नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नवाचारिक तरीकों का परिचय दिया। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न शैक्षिक योजनाओं, पाठ्यक्रमों और शिक्षा सामग्रियों के उपयोग एवं वर्तमान परिवर्तन के बारे में अद्यतन जानकारी दी, जिससे वे अपने शिक्षण स्तर को इस ओर निरूपित कर सकें।

प्रभारी प्राचार्य अखिलेश पांडे ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति को विशेष तौर पर विविधताओं और नवीन अनुसंधान पर केन्द्रीयकृत रखा गया है। इससे अनुकूलित नवाचार, नई तकनीकें और कौशल विकास आदि अपनाने में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों दोनों को सुगमता होगी, साथ ही संस्थागत अभावों की स्थिति भी निर्मित नही होगी। इसी क्रम में मास्टर ट्रेनर सुनील कंवर ने विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया कि पहले की उच्च शिक्षा शिक्षण पद्धति और नीतियां उस समय की तात्कालिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं पर आधारित थी। बदलते दौर में गुणवत्तापूर्ण योग्य संकायों और विषयों को लेकर कुछ जटिलताएं महसूस की जाती रहीं, जिन्हें इस नई शिक्षा नीति में दूर कर दिया गया है। उनके अनुसार अब विद्यार्थियों के पास रोजगार उन्मूलन के लिए अपनी रूचि के अनुरूप वैल्यू ऐडेड कोर्स, स्किल डेवलपमेन्ट कोर्स जैसे भी कई विकल्प होंगे। वहीं, स्नातक स्तरीय शिक्षा सेमेस्टर प्रणाली पर आधारित होगी और यदि कोई विद्यार्थी किसी कारण वश अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देता है, तब भी उसकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी। इस ओर, एक वर्ष में मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र, दो वर्ष में डिप्लोमा, तीन वर्ष में डिग्री सहित चौथे वर्ष ऑनर्स डिग्री या ऑनर्स विथ रिसर्च की डिग्री भी प्रदाय करने के प्रावधान भी किए गए हैं। इसके अलावे, प्रशिक्षण के दौरान मूल्यांकन पद्धति में किए गए कई बड़े बदलावों के बारे में भी बतलाया गया। जिसमें सतत् आंतरिक मूल्यांकन में 30 प्रतिशत अंक और सेमेस्टर के अंत में 70 प्रतिशत अंकों के लिए परीक्षाएं होंगी। अब, उत्तीर्ण होने के लिए विद्यार्थियों को कम से कम 40 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे।

कार्यशाला का अंतिम सत्र में सभी बिंदुओं पर पुनरावलोकन किया गया, साथ ही प्रशिक्षणार्थियों के शंका वाले बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा कर उन्हें सटीक परिपालन की ओर अग्रेषित किया गया। इस प्रशिक्षण में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी की शत प्रतिशत उपस्थिति रही।