सायबर अपराध से सचेत रहना जरूरी – प्रोफेसर पाण्डेय

ग्राम्य भारती महाविद्यालय में नए कानूनों को लेकर कार्यशाला का आयोजन: कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं को किया गया जागरूक।

विनोद उपाध्याय

कोरबा, 02 जुलाई। 1 जुलाई से पूरे देश में नए कानून लागू हो गए हैं, इसके तहत, भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के विषय में आमजन को जागरुक करने के उद्देश्य से शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय, हरदीबाजार में एक दिवसीय प्रचार-प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शिखा शर्मा के संरक्षण एवं मार्गदर्शन तथा महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी प्रो. अखिलेश पाण्डेय तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर के मुख्य अधिकारी श्री कुलवंत तिर्की के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों एवं महाविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत समस्त छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि उपस्थित कोरबा पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक (ए.एस.आई.) विजय सिंह ने सभा को नई कानून व्यवस्था से अवगत कराते हुए कहा कि इस परिवर्तित कानून व्यवस्था से इस तकनीकी युग में विभिन्न अपराधों के विवेचना के स्तर एवं तरीके दोनों में लंबे समय से प्रतीक्षित परिवर्तन आएंगे; देश में ना केवल अपराध की धाराएं व सजाएं बदलेंगी ब्लकि पुलिस जाँच की प्रक्रिया में भी अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिलेंगे। पुलिस बल की छवि को बेहतर करने के लिए तथा अपराधिक मामलों की जाँच में तेजी लाने के लिए ऑडियो, वीडियो, तस्वीरों, मोबाइल टावर लोकेशन, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सी.डी.आर.) और फॉरेंसिक रिपोर्टों पर विशेष बल दिया जाएगा। इतना ही नहीं, अब पीड़ित, आरोपी और गवाहों के बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंगस् को किसी प्रकरण से पूर्व न्यायालय में पेश करने का प्रावधान रहेगा।

तत्पश्चात कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कोरबा पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक (ए.एस.आई.) मनोज मिश्रा ने नए कानूनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सन् 1872 में अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा गठित कानूनों पर आधारित अब तक की व्यवस्था का अब अद्यतनीकरण कर दिया गया है। पूर्व में आई.पी.सी. के नाम से जाने जानी वाली भारतीय दंड संहिता अब भारतीय न्याय संहिता (बी.एन.एस.) के नाम से जानी जाएगी, साथ ही इसमें अब पहले की 511 धाराओं की जगह 358 धाराएँ होंगी; इसी प्रकार पहले की सी.आर.पी.सी. अर्थात दंड प्रक्रिया संहिता को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.एस.) के नाम से जाना जाएगा तथा इसमें पहले के 484 धाराओं की जगह 531 धाराएँ होंगी। इसके अतिरिक्त भारतीय साक्ष्य संहिता में पूर्व की 166 धाराओं की जगह 170 धाराएँ होंगी। कार्यक्रम में कोरबा पुलिस के प्रधान आरक्षक ओम प्रकाश डिक्सेना एवं आरक्षक श्री प्रदीप टेकाम ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कोरबा पुलिस को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रो. पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में न्याय व्यवस्था के भारतीयकरण की सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि इन नए कानूनों में अपराधों की सज़ा में आई सख़्ती से राष्ट्रीय सुरक्षा पूर्व की तुलना में और अधिक मज़बूत होगी तथा आंतकवाद, संगठित अपराधों, मॉब लिंचिंग, नाबालिग दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों की संख्या में कमी आएगी। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के गणित विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एम. के. वर्मा, रसायनशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. एस. के. मूर्ति एवं हिन्दी विभाग के प्राध्यापक एस. के. दुबे की भूमिका सराहनीय रही।