मड़वा विद्युत संयंत्र में जनजागरूकता शिविर, 54 श्रमिकों की टीबी जांच एवं स्वास्थ्य परीक्षण किया गया

जांजगीर, 01 जुलाई 2024- अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र (एबीवीटीपीएस) मड़वा के व्यावसायिक स्वास्थ्य केन्द्र में निःशुल्क क्षय रोग (टी.बी.) जाँच एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ बलौदा के खण्ड चिकित्सा अधिकारी डाॅ. यूके. तिवारी एवं अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.एम.आर.स्नेही के विशिष्ट आतिथ्य में कार्यक्रम के अध्यक्ष अतिरिक्त मुख्य अभियंता भरत गड़पाले द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री गड़पाले ने औद्योगिक श्रमिकों से क्षय रोग परीक्षण कराने का अनुरोध किया। श्री गड़पाले ने बताया कि वह व्यक्ति जो 15 दिन से अधिक खांसी अपने कार्यक्षेत्र में कोल या राखड़ धूलकणों के संपर्क होने से एलर्जी या मौसम परिवर्तन या धूम्रपान को मान रहे हैं, वह जाने अनजाने मंे सक्रिय तपेदिक रोगी के संपर्क में आ जाएं तो उन्हें टी.बी. रोग के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने सलाह दी है कि श्रमिकों को सुरक्षा की दृष्टि से मानक हेपा फिल्टर वाले श्वसन माॅस्क का प्रतिदिन कोल या राखड़ धूल से संबंधित कार्यक्षेत्र में निरन्तर उपयोग करना चाहिए।
यह शिविर कार्यपालक निदेशक एसके बंजारा एवं जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी स्वाति वंदना सिसोदिया के निर्देश एवं मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस शिविर में कुल 54 श्रमिकों ने स्वेच्छापूर्वक स्वास्थ्य जाँच एवं क्षय रोग परीक्षण कराया। नौ श्रमिकों से बलगम के नमूने टी.बी. के जीवाणु परीक्षण हेतु संग्रहित किए गए। कार्यक्रम में बलौदा खण्ड चिकित्सा अधिकारी डाॅ. यूके. तिवारी ने उपस्थित जन समुदाय को स्वस्थ जांजगीर अभियान के अंतर्गत सघन टी.बी., कुष्ठ रोग, मोतियाबिन्द, सिकलसेल, दिव्यांगता और आयुष्मान कार्ड खोज अभियान की जानकारी दी।
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.एम.आर.स्नेही ने अपने संबोधन में बताया कि एड्स, कुपोषण, सिलिकोसिस जैसे बीमारियों और गांजा, बीड़ी के धूम्रपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, ऐसी स्थितियों में टीबी शीघ्र और अधिक उग्र रूप से व्यक्ति को रोगग्रस्त करता है जिससे अकाल मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। शिविर में सीएचसी. बलौदा के चिकित्सा अधिकारी डाॅ. बलराम रोहिदास के नेतृत्व में एमएलटी. आशीष व लक्ष्मीकांत और सीएचओ. शोभा व ज्योतिकमल द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण, बलगम की जाँच, नूमने का संग्रहण एवं उचित परामर्श दिया गया। इस अवसर पर क्षयरोग आधारित प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई। इसमें अग्निशमन विभाग के श्रमिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डाॅ.आरके. साहू, मुख्य अग्निशमन अधिकारी एमके रायकवार, वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक राजेश ओग्रे, सोमदत्त, अंजु, बिनोद, भारती, कृष्ण कुमार ईश्वर, भुवनेश्वरी, राधिका, अशोक पटेल का सराहनीय योगदान रहा।

टीबी से फेफड़ा में होता है संक्रमण-

वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक राजेश ओग्रे बताया कि क्षय रोग मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक एक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह मुख्य रूप से फेफड़े को संक्रमित करता है।  मरीज के खांसने पर बलगम के सूक्ष्म बूंद के साथ हवा में फैल कर दूसरे व्यक्ति को सांस के माध्यम से रोगग्रस्त करता है। यह बच्चे से बूढ़े हर उम्र के लोगों के बाल व नाखून छोड़कर फेफड़ा, मस्तिष्क, हाथ-पैर रीढ़ की हड्डी, त्वचा, आंत, जननांग आदि किसी भी अंग को संक्रमित कर सकता है। इससे न्यूमोनिया, मस्तिष्क ज्वर, लकवा, गले में गिल्टी ,आंतों में गठान, चमड़ी हड्डी में घाव जैसे जटिलतायें आने से मनुष्य कमजोर विकलांग या काल कवलित हो जाता है।  इससे स्त्रियों में बांझपन होता है।
टीबी के लक्षण –
टीबी. का मुख्य लक्षण 15 दिन से अधिक खांसी आना, शाम के समय लगातार बुखार आना, रात में पसीना आना, भूख न लगना , वजन कम होना, छाती में दर्द रहना और खंखार में खून आना है।टी.बी. का निदान मुख्यतः खंखार जाँच और छाती के क्ष-किरण से किया जाता है। सुबह निकले खंखार का नमूना जांच के लिए ठीक होता है। सी.एच. सी. बलौदा व चांपा तथा जिला अस्पताल जांजगीर में ट्रूनाॅट व सी. बी.नाॅट जैसे अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध है जिनसे बलगम के अलावा रक्त, फेफड़े आंत रीढ़ आदि का ऊतकीय पानी का भी मंहगा जाँच निःशुल्क सटीकता से हो जाता है।

छह महीने तक दवाइयां लेने से ठीक हो जाता है टीबी

ट्यूबरकूलीन टेस्ट भी तपेदिक के लिए होता है। तपेदिक का उपचार डाॅट्स पद्धति से किया जाता है जिसमें रोगी शुभचिंतक मित्र या संबंधी के निगरानी में 6 माह तक वजन और प्रकरण अनुसार निर्धारित दवाइयों का सेवन कर पूर्ण स्वस्थ हो जाता है। निर्धारित समय और मात्रा में दवाई न लेकर अधूरा उपचार लेने से दवा प्रतिरोधी क्षय रोग हो जाता है जिसमें मरीज का इलाज मंहगा ,कठिन और लम्बा होता है और वांछित परिणाम नहीं मिल पाता है। ऐसे मरीज स्वयं के साथ दूसरों के जान जोखिम में डालते हैं। क्षय रोगी को प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार के लिए शासन द्वारा 500 रूपये की धनराशि प्रतिमाह दी जाती है और निक्षय मित्र योजना में कोई भी क्षय रोगी को गोद लेकर पौष्टिक आहार दे सकता है।

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