0.आषाढ़ मास में बेल का न करें सेवन,आषाढ़ मास में सौंफ व हींग का सेवन हितकारी- डॉ.नागेन्द्र शर्मा
कोरबा,24 जून 2024 । हिंदी मासानुसार आषाढ़ माह का आरंभ 23 जून 2024 रविवार से हो गया है। जो 21 जुलाई 2024 रविवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है। यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी आषाढ़ मास का आरम्भ 23 जून रविवार से हो चुका है जो 21 जुलाई 2024 रविवार तक रहेगा।
इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। आषाढ़ मास को ऋतुओं का संधिकाल कहा गया है। अर्थात ये मौसम परिवर्तन का समय होता है। इस दौरान गर्मी खत्म हो रही होती है और बारिश की शुरुआत हो रही होती है। ऋतु परिवर्तन के इस काल में पानी से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। ऐसे में इन दिनों पानी उबालकर पीना चाहिए। आषाढ़ में रसीले फलों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इन दिनों में आम और जामुन खाने चाहिए। किंतु बेल से पहरेज करना चाहिये। आषाढ़ मास में बेल का सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानी होकर पेट एवं आंतों के संक्रमण संबंधी समस्या हो सकती है। अतः आषाढ़ मास में बेल का सेवन किसी भी रूप मे नहीं करना चाहिये।
आषाढ़ मास वर्षा ऋतु का आरंभ काल है इस काल में वातावरण मे परिवर्तन होने के कारण हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है जिसके कारण से हमे अपनी पाचन शक्ति को सही रखने के लिए मसालेदार और तली भुनी चीजें से परहेज करना चाहिये। और अत्यधिक भोजन (over eating) करने से बचना चाहिये। स्कंद पुराण के अनुसार आषाढ़ मास में एकभुक्त व्रत रखना चाहिए। अर्थात एक वक्त ही भोजन करना चाहिये। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
आषाढ़ मास में अपने भोजन में सौंफ और हींग का प्रयोग करना हितकारी होता है। साथ ही इस माह में हरी पत्तेदार सब्जियां, मसूर दाल, गोभी, लहसुन, प्याज, बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस माह में शारीरिक श्रम, खेल-कूद, योग-व्यायाम भरपूर रूप से करना चाहिये। इस माह में वर्षा ऋतु के आगमन के कारण से बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अतः आषाढ़ माह में खानपान की इन बातों को ध्यान मे रखकर सुपाच्य, पौष्टिक एवं संतुलित अल्पाहार के सेवन के साथ-साथ रसीले फलों का सेवन करना चाहिये। इससे व्यक्ति निरोगी रहता है।
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