कोरबा, 24 जून। राष्ट्रीय राजमार्ग 149 बी में शामिल कोरबा -चाम्पा निर्माणाधीन फोरलेन सड़क न केवल निर्धारित मियाद में तैयार हो सका वरन निर्माण कार्य में तकनीकी मानकों की अनदेखी की शिकायतें भी आने लगी है। बरपाली चौक में निर्माणाधीन अंडर पास के पियर की 3 दिन पहले ही हुई ढलाई के बाद शटरिंग खुलते ही दरारें आने लगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के बीच हुई ढलाई के दौरान वाइब्रेटर नहीं चलाई गई ।जिम्मेदार अफसरों की गैर मौजूदगी अनदेखी की वजह से कालांतर में हैवी गर्डर वाले ब्रिज में खतरे का सबब बन सकता है।उक्त तकनीकी खामियों के बाद स्थानीय ग्रामीण जहां पियर को तोड़कर नए सिरे से गुणवत्ता एवं तकनीकी मानकों के अनुरूप ढलाई करने की मांग कर रहे तो वहीं फर्म उस पर पलस्तर कर लीपापोती करने की फिराक में जुटा है ।
यहां बताना होगा कि कोरबा से चाम्पा के मध्य निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग 149 बी के फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। कई स्थानों पर अभी भी निर्माण अधूरा होने के कारण इस रास्ते से गुजरने वाले खासकर छोटे-बड़े वाहनों के चालकों और ग्रामवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मानसून के दस्तक देने के बाद अब पूरी बरसात समस्या और बढ़ी रहेगी। इधर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण द्वारा बरपाली चौक पर तैयार किया जा रहा अंडर पास ओवरब्रिज के निर्माण में तकनीकी मानकों कब अनदेखी का मामला प्रकाश में आ रहा। स्थानीय ग्रामीण राकेश महतो व अन्य के मुताबिक शुक्रवार को की गई पियर की ढलाई में तकनीकी मानकों की अनदेखी की गई है। भरी बरसात में ढलाई की गई लेकिन इस दौरान सही तरीके से नियमित वाइब्रेटिंग नहीं की गई । जिसकी वजह से पियर में दरार (वर्टिकल क्रैक) आने लगी है । सिविल इंजीनियरों के अनुसार कालांतर में हैवी गर्डर वाले ब्रिज में यह खतरे का सबब बन सकता है। इस पर ब्रिज खड़ी कर दी जाए तो ब्रिज कोलेप्स हो सकता है । दरारों के कारण पियर की लोड बेयरिंग कपैसिटी नहीं रह जाएगी । यदि इस पर गर्डर का लोड आएगा तो यह वर्टिकल क्रैक बढ़ जाएंगे। अत्यंत भयावह दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी । स्टेबिलिटी नहीं रह जाएगी । इससे स्ट्रक्चर का ड्यूरिबिलिटी भी कम हो जाएगी। लाखों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता । ब्रिज के चेंबर में दरारों का दूसरे दिन ही दिखना ठेकेदार की गंभीर लापरवाही का परिणाम है। बड़े ब्रिज के दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे यही अनदेखी रहती है। प्रकरण में एनएचएआई के सक्षम अधिकारियों का पक्ष नहीं आ सका है ।
नए सिरे से पियर हो तैयार, मरम्मत न करें स्वीकार
तकनीकी जानकारों का कहना है कि शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी निर्माण में यदि खामियां है तो वह ठेकेदार की जवाबदेही है कि वह जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करके दे। पियर को मजबूती के साथ कंप्लीट बनाया जाना चाहिए। तकनीकी खामियां वाले निर्माण स्वीकार नहीं किए जाएंगे। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक पियर के क्षतिग्रत हिस्से को पलस्तर कर लाखों रुपए बचाने की जुगत लगाई जा रही है। जिसका खामियाजा एनएचएआई के अधिकारी जिला प्रशासन के अधिकारी नहीं आवागमन करने वाली आम जनता भुगतेगी । लिहाजा नए सिरे से पियर तैयार करने की नितांत आवश्यकता है ।
एनएचएआई के जिम्मेदार अधिकारी थे नदारद
ब्रिज गर्डर गिरने का मामला कोई नहीं है। भारत मे छोटे छोटे मिस्त्री और वर्कमैनशिप की कमी के कारण ब्रिज गिरते हैं। ग्रामीणों की मानें तो पियर ढलाई के दौरान जिम्मेदार अधिकारी नदारद थे। सतत मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है । जिसका खामियाजा आम जनता को न भुगतना पड़ जाए।
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