स्विस बैंक भारत से करेगा अनिल अंबानी और उनके परिवार के बैंक खातों के लेन-देन की जानकारी साझा…सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ऑर्डर

स्विटजरलैंड की सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को आदेश दिया है कि रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी, उनकी पत्नी टीना अंबानी और उनके दो बच्चों के नाम से स्विटजरलैंड की बैंक खाते की जानकारी भारत सरकार से साझा की जाए. इसके तहत भारत को अनिल अंबानी और उनके परिवार के स्विस बैंक में अप्रैल 2011 से सितंबर 2018 तक के लेन-देन की जानकारी साझा की जाएगी.

भारत और स्विटजरलैंड के बीच हुए करार के बाद भारत सरकार ने स्विटजरलैंड की सरकार से स्विस बैंक में जमा भारतीयों के खाते की जानकारी मांगी थी. इसी संबंध में मामला स्विटजरलैंड की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. अब सुप्रीम कोर्ट ने ये जानकारी भारत सरकार को मुहैया कराने के लिए स्विस बैंक और स्विटजरलैंड की सरकार को कहा है.

स्विटजरलैंड की एक पत्रिका ने इसे लेकर रिपोर्टिंग की है. हालांकि कोर्ट की ऑर्डर कॉपी में अनिल अंबानी और उसके परिवारवालों के नाम के बजाय A,B,C,D लिखा हुआ है, लेकिन स्विटजरलैंड के उस पत्रिका के रिपोर्टर के मुताबिक जो पत्रकार कोर्ट रिपोर्टिंग करते हैं उन्हें कोर्ट में फाइल देखने दिया जाता है और उस फाइल में इनके नाम लिखें हैं.

अनिल अंबानी समेत कई भारतीयों के नाम HSBC बैंक के लीक दस्तावेजों में आया था कि उन्होंने टैक्स से बचने के लिए स्विस बैंकों में खाते खुलवा रखे हैं. हालांकि भारत सरकार अभी काले धन की सूची वाले उन लिस्टों में से सबके नाम सार्वजनिक करने से परहेज कर रही है.

भारत को स्विस बैंक खातों की जानकारी के मिल चुके दो सेट

पिछले साल अक्टूबर में भारत को सूचनाओं की स्वत: आदान-प्रदान व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों और संस्थाओं के स्विस बैंक खातों की जानकारी का दूसरा सेट मिला था, जो कथित रूप से विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ सरकार की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण सफलता माना गया. भारत उन 86 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (FTA) ने एईओआई पर वैश्विक मानक ढांचे के भीतर वित्तीय खातों की जानकारी साझा की. भारत को एईओआई (सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान) के तहत सितंबर 2019 में स्विट्जरलैंड से विवरण का पहला सेट मिला था. उस समय इसमें 75 देश शामिल थे.

इस तरह का अगला आदान-प्रदान सितंबर 2021 में होगा. स्विट्जरलैंड का पहला ऐसा आदान-प्रदान सितंबर 2018 के अंत में हुआ और इसमें 36 देश शामिल थे. उस समय भारत इस सूची में शामिल नहीं था. इस समय लगभग 8,500 वित्तीय संस्थान (बैंक, ट्रस्ट, बीमाकर्ता, आदि) एफटीए के साथ पंजीकृत हैं. ये संस्थाएं आंकड़े जमा करके एफटीए को देती हैं.