विश्व परिवार दिवस पर इंडस परिवार द्वारा इस लाॅकडाउन पर ऑनलाईन अपने परिवार के साथ महत्वपूर्ण पलों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए

⭕ इंडस पब्लिक स्कूल प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने परिवार के महत्वता पर व्यक्त किए अपने सुझाव ।

⭕ परिवार समाज की आधारभूत इकाई है – डाॅ. संजय गुप्ता ।

⭕ परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला है -डाॅ. संजय गुप्ता ।

कोरबा 15 मई (वेदांत समाचार) विश्व परिवार दिवस 15 मई को मनाया जाता है। प्राणी जगत में परिवार सबसे छोटी इकाई है या फिर इस समाज में भी परिवार सबसे छोटी इकाई है। यह सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई है । परिवार के अभाव में मानव समाज के संचालन की कल्पना भी दुष्कर है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी परिवार का सदस्य रहा है या फिर है। उससे अलग होकर उसके अस्तित्व को सोचा नहीं जा सकता है। हमारी संस्कृति और सभ्यता कितने ही परिवर्तनों को स्वीकार करके अपने को परिष्कृत कर ले, लेकिन परिवार संस्था के अस्तित्व पर कोई भी आंच नहीं आई। वह बने और बन कर भले टूटे हों लेकिन उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। उसके स्वरूप में परिवर्तन आया और उसके मूल्यों में परिवर्तन हुआ लेकिन उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता है। हम चाहे कितनी भी आधुनिक विचारधारा में हम पल रहे हो लेकिन अंत में अपने संबंधों को विवाह संस्था से जोड़ कर परिवार में परिवर्तित करने में ही संतुष्टि अनुभव करते हैं। भारत गावों का देश है, ‘परिवारों’ का देश है द्य शायद यही कारण है की, न चाहते हुए भी आज हम विश्व के सबसे बड़े जनसँख्या वाले राष्ट्र के रूप में उभर चुके हैं, और शायद यही कारण है की आज तक ‘जनसँख्या दबाव’ से उपजे चुनौतियों के बावजूद, एक ‘परिवार’ के रूप में, ‘जनसँख्या नीति’ बनाये जाने की जरुरत महसूस नहीं की ! यह एक सुखद संयोग हो सकता है की पूरे विश्व का आध्यामिक “गुरु” हमारा भारत देश होते हुए भी, यहाँ के “लोग”, सबसे ज्यादा भावना प्रधान होते हुए, प्रेम, मोह, परिवार आदि से खुद को मुक्त नहीं कर पाते । “परिवार” शब्द हम भारतीयों के लिए अत्यंत ही “आत्मीय” होता है ।

परिवार एक स्थायी और सार्वभौमिक संस्था है। किन्तु इसका स्वरूप अलग अलग स्थानों पर भिन्न हो सकता है । पश्चिमी देशों में अधिकांश नाभिकीय परिवार पाये जाते हैं । नाभिकीय परिवार वे परिवार होते हैं जिनमें माता-पिता और उनके बच्चे रहते हैं । इन्हें एकाकी परिवार भी कहते हैं। जबकि भारत जैसे देश में सयुंक्त और विस्तृत परिवार की प्रधानता होती है । संयुक्त परिवार वह परिवार है जिसमें माता पिता और बच्चों के साथ दादा दादी भी रहतें हैं । यदि इनके साथ चाचा-चाची ताऊ या अन्य सदस्य भी रहते हैं तो इसे विस्तृत परिवार कहते हैं । वर्तमान में ऐसे परिवार बहुत कम देखने को मिलते हैं । व्यापारी वर्ग में विस्तृत परिवार अभी भी मिलते हैं । क्योंकि उन्हें व्यापार के लिये मानव शक्ति की आवश्यकता होती है । एक अच्छा परिवार समाज के लिये वरदान और एक बुरा परिवार समाज के लिये अभिशाप होता है । क्योंकि समाज में परिवार की भूमिका प्रदायक की होती है। परिवार सदस्यों का समाजीकरण करता है, साथ ही सामाजिक नियंत्रण का कार्य करता है क्योंकि सभी नातेदार सम्बन्धों की मर्यादा से बंधे होते हैं । एक अच्छे परिवार में अनुशासन और आजादी दोनों होती हैं ।


परिवार के सदस्य अपने बच्चों की देखरेख करते हैं कि उनका बच्चा किस तरह के लोगों में रहता है । उसकी संगति कैसी है जिस वजह से वह जीवन में आगे बढ़ते चले जाते हैं । परिवार के सदस्य ध्यान ना दें और बच्चों की संगति बुरी हो तो उनके जीवन पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा और उनका पूरा जीवन बर्बाद भी हो सकता है इसलिए परिवार के सदस्य का होना जरूरी है परिवार की वहज से ही हमारे समाज का निर्माण होता है । दरअसल बहुत सारे परिवार मिलकर एक समाज का निर्माण करते हैं । आज के इस आधुनिक युग में कुछ जगह पर ऐसा भी देखा जाता है कि बहुत से लोग इस परिवार का महत्व नहीं समझते और अपने जीवन में बहुत से ऐसे कदम उठा लेते हैं कि उन्हे बाद में पछताना होता है जैसे कि बहुत से लोग सिर्फ कुछ थोड़े से ज्यादा पैसे कमाने के लिए अपने परिवार से दूर होकर अकेले ही कहीं दूर चले जाते हैं और जब उन्हें पता चलता है कि परिवार का बड़ा महत्व है और मैंनें यहां आकर गलती की तो उस स्थिति को सुधारने के लिए या तो उनके पास मौका नहीं होता या फिर वह जानबूझकर नहीं सुधारते और अपने जीवन को और भी अंधकारमय बनाते जाते हैं क्योंकि पैसों से ज्यादा मेरे ख्याल से परिवार का ही महत्व होता है ।

इस लाॅकडाउन पर स्कूल के बच्चों द्वारा अपने अभिभावकों के साथ घर पर अधिक से अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं । समय का भरपूर उपयोग करते हुए पढ़ाई के साथ-साथ, अन्य ज्ञानवर्धक कला से बच्चे घर बैठे अवगत हो रहे हैं । बच्चों ने इस लाॅकडाउन पर अपने समय की महत्वता के बारे में जाना एवं अपना अनुभव व्यक्त किया ।

विद्यालय प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने कहा कि पूरे विश्व में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है । परिवार के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती । परिवार मनुष्य के जीवन का बुनियादी पहलू है। व्यक्ति का निर्माण और विकास परिवार में ही होता है । परिवार मनुष्य को मनोवैज्ञानिक सुरक्षा प्रदान करता है । व्यक्तित्व का विकास करता है । प्रेम, स्नेह, सहानुभूति, परानुभुति आदर सम्मान जैसी भावनाऐं सिखाता है । धार्मिक क्रियाकलाप सिखाता है। धर्म स्वयं में नैतिक है । अतः बच्चा नैतिकता सीखता है। बच्चों में संस्कार परिवार से ही आते हैं । परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला है । परिवार की वजह से ही परिवार के और सदस्य अपने आगे के जीवन में सही तरह से जीवन जी पाते हैं दरअसल परिवार के सदस्य एक बच्चे को जीवन जीने की कला सिखाते हैं हमारे देश की संस्कृति और भाषा का ज्ञान कराकर उसके जीवन में कुछ करने लायक बनाते हैं ।


किसी भी सशक्त देश के निर्माण में परिवार एक आधारभूत संस्था की भांति होता है, जो अपने विकास कार्यक्रमों से दिनोंदिन प्रगति के नए सोपान तय करता है। कहने को तो प्राणी जगत में परिवार एक छोटी इकाई है लेकिन इसकी मजबूती हमें हर बड़ी से बड़ी मुसीबत से बचाने में कारगर है। परिवार से इतर व्यक्ति का अस्तित्व नहीं है इसलिए परिवार को बिना अस्तित्व के कभी सोचा नहीं जा सकता। लोगों से परिवार बनता हैं और परिवार से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व बनता हैं। इसलिए कहा भी जाता है ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात पूरी पृथ्वी हमारा परिवार है। ऐसी भावना के पीछे परस्पर वैमनस्य, कटुता, शत्रुता व घृणा को कम करना है। परिवार के महत्व और उसकी उपयोगिता को प्रकट करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 मई को संपूर्ण विश्व में ’अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित कर की थी। तब से इस दिवस को मनाने का सिलसिला जारी है।

परिवार रिश्तों की एक मजबूत डोर होती है, सहयोग के अटूट बंधन होते हैं, एक-दूसरे की सुरक्षा के वादे और इरादे होते हैं। हमारा यह फर्ज है कि इस रिश्ते की गरिमा को बनाए रखें। हमारी संस्कृति में, परंपरा में पारिवारिक एकता पर हमेशा से बल दिया जाता रहा है। परिवार एक संसाधन की तरह होता है। परिवार की कुछ अहम जिम्मेदारियां भी होती हैं। परिवार व्यक्तियों का वह समूह होता है, जो विवाह और रक्त सम्बन्धों से जुड़ा होता है जिसमें बच्चों का पालन पोषण होता है ।
पिता-शिरीश अग्रवाल, माता-विनिता अग्रवाल, पुत्र-शिवेश अग्रवाल

प्यार के साथ-साथ उनका ज्ञान अनुभव अनुशासन आदि बहुत कुछ बच्चों को मिलता है । ऐसे में बच्चों का उचित शारीरिक और चारित्रिक विकास होता है । जबकि एकाकी परिवार में कभी कभी बच्चे को माँ बाप का प्यार भी नहीं मिल पाता । बच्चों को संस्कारवान बनाने, चरित्रवान बनाने एवं उनके नैतिक विकास में संयुक्त परिवार का विशेष योगदान होता है जो कि एकाकी परिवार में कभी संभव नहीं है।
पिता-जगन्नाथ नायक, माता-डेजालिन करन, पुत्र-सांई रेयांश नायक

परिवार का समाज में विशेष महत्त्व है किन्तु इससे भी अधिक महत्त्व भारतीय समाज में सयुंक्त परिवार का रहा है । संयुक्त परिवार में प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदरी होती है । स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो या आर्थिक सामाजिक सुरक्षा, सभी लोग मिलकर वहन करते हैं । कोई अकेला व्यक्ति परेशानी नहीं उठाता । इससे किसी एक व्यक्ति पर तनाव नहीं बढ़ता । पूरा परिवार एक शक्ति ग्रह की भांति होता है । जो सामाजिक सुरक्षा का कार्य करता है ।
पिता-चन्द्रजीत साहु, माता-कल्पना साहु, पुत्री-अवनी अराध्या

परिवार हमारी नींव है। यह परिवार के माध्यम से है कि हम दुनिया के साथ अपनी पहली बातचीत सीखें। यह हमें सिखाता है कि कैसे प्यार करना और प्यार देना है, कैसे समर्थन की पेशकश करना और प्राप्त करना है और कैसे अपना सम्मान अर्जित करते हुए दूसरों का सम्मान करना है। यह दुनिया के हमारे विचारों के लिए रूपरेखा प्रदान करता है। संयुक्त परिवार में बच्चे कैसे बड़े हो जातें है पता ही नहीं चलता । बच्चों के खेलने के लिये परिवार के सदस्य ही उनके दोस्त बन जाते हैं । मनोरंजक गतिविधियां जैसे त्यौहार उत्सव आदि होते रहते हैं । उन्हें दादा दादी आदि का अपार प्यार मिलता है । इसलिये परिवार को प्यार का मंदिर कहा जाता है ।
पिता-अंकित शाही, माता-काजल शाही, दादी-गीता शाही, पुत्र-आयुष्मान शाही