डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विधानसभा में लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद अधिसूचना जारी होते ही 24 मई को बीजेपी के पार्षदों द्वारा कलेक्टर को नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव हेतु लिखित पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसे कलेक्टर ने स्वीकार कर आगे की कार्यवाही हेतु नगर पालिका अधिकारी को पत्र के माध्यम आदेशित किया था।
इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने हस्ताक्षर सत्यापन की कार्यवाही हेतु अविश्वास प्रस्ताव लेने गए बीजेपी के 14 पार्षदों को पत्र के माध्यम से हस्ताक्षर सत्यापन हेतु 27 मई को नगर पालिका परिषद के सभागृह में बैठक आहूत किया था। जिसकी जानकारी नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम को नहीं हुई। बीजेपी के पार्षदों ने बैठक में उपस्थित हो पुनः हस्ताक्षर कर सत्यापन की प्रकिया को आगे बढ़ाया। उक्त सम्मेलन के समय कांग्रेस पार्टी के कुछ लोग नगर पालिका में उपस्थित हो पूरे बैठक की वीडियोग्राफी कराई गई है।
10 जून को होगी आगे की सुनवाई
डोंगरगढ़ विधानसभा की विधायक हर्षिता स्वामी बघेल के साथ नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष विजय राज सिंह ने शनिवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर विधायक हर्षिता स्वामी ने जिला कलेक्टर और नगर पालिका अधिकारी के कार्यवाही पर संदेश जाहिर करते हुए कहा कि, बीजेपी ने तो शुरू से ही हमारे कार्यकर्ताओं को किसी ना किसी प्रकार से प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग ले कर चुनावी गतिविधियों में परेशान की हैं। जिससे हम चुनावी प्रचार-प्रसार में कमजोर हो जाए। अब हमारे कांग्रेस की शहर सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव कर हटाने का काम कर रही है। इस प्रकार की कार्यवाही के चलते हमारी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने न्यायालय की शरण में जा कर अविश्वास प्रस्ताव को रोकने हाई कोर्ट गए और अभी इस प्रक्रिया पर माननीय न्यायालय ने इस पर रोक लगाते हुए 10 जून को आगे सुनवाई की तारीख दिया है।
कलेक्टर ने नहीं दिए दस्तावेज
इस पूरे मामले को लेकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष विजय राज सिंह ने कहा कि, हमारे कांग्रेस पार्टी नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ़ बीजेपी के पार्षद दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जिला कलेक्टर को पत्र लिखा। जिसे कलेक्टर ने आदर्श आचार संहिता के नियमों को दर किनार रख कार्यवाही को गति प्रदान की जो की गलत हैं। हम लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव से संबंधित दस्तावेजों को मांगा तो हमें आचार संहिता में जारी पत्रों को नहीं दिया। जिससे प्रमाणित होता हैं कि, आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन हैं।
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