मुंबई । भोजपुरी फ़िल्म उद्योग एक क्षेत्रीय भाषा में फिल्में बनने वाली इंडस्ट्री हैं।जिसकी लोकप्रियता आज के समय में राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हैं।भोजपुरी फिल्मों का इतिहास 63 वर्षों का हैं।पहली भोजपुरी फ़िल्म थी “गंगा मइयाँ तोहे पियरी चढ़ईबो ” जो 1963 में बनी थी।जिसके बाद “पंडित जी बताइ ना बियाह कब होई “,” ससुरा बड़ा पैसावाला ” जैसी एक से बढ़कर एक सुपरहिट पारिवारिक फिल्में बनीं।जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक लाने में सफल रहीं।समय के साथ – साथ इंडस्ट्री में भी परिवर्तन आया।
जिसको लेकर अभिनेता व भोजपुरी फिल्म विशेषज्ञ तथा अनुसंधानकर्ता अभिनय सिंह राजपूत ने फिल्म पत्रकार युधिष्ठिर महतो से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भोजपुरी फ़िल्म और गीत संगीत के करोड़ों दर्शक हैं।यह इंडस्ट्री भोजपुरी से जुड़े सभी कलाकार ,निर्माता ,निर्देशक ,गायक ,लेखक आदि सबके लिए एक घर हैं और हम सब को यहाँ एक परिवार की तरह रहना पड़ेगा।
प्रत्येक साल भोजपुरी में सैंकड़ों से भी अधिक फिल्में बनती हैं।लेकिन,सभी फिल्में दर्शकों तक नहीं पहुंच पाती हैं।जिसके लिए निर्माता निर्देशक जिम्मेदार हैं।अधिकांश निर्माता निर्देशक कलाकारों पर खर्च करते हैं।लेकिन,कॉन्सेप्ट और कहानी पर खर्च नहीं करते हैं।जिसकी वजह से फिल्म बिजनेस में नुकसान होता हैं।भोजपुरी इंडस्ट्री में कास्टिंग की भी कमी हैं।यहाँ कहानी के अनुसार कास्टिंग नहीं होती हैं।जिस पर सभी निर्माता निर्देशकों को सुधार लाना चाहिए और सभी प्रतिभाशाली कलाकार को मौका मिलना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में दर्शक बहूत आगे बढ़ चुके हैं।लव स्टोरी ,एक्शन से ज्यादा सस्पेंस थ्रीलर ,पास्ट स्टोरी और फ्यूचर स्टोरी पर फ़िल्म बनने से दर्शकों को ज्यादा पसंद आयेगी और फ़िल्म को बहूत सफलता मिलेगी। दर्शकों का बहुत ज्यादा सपोर्ट भी मिलेगा।
अभिनय सिंह राजपूत ने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए दु:ख की बात यह हैं कि चाहे किसी स्टार की फ़िल्म हो या नये कलाकार की फ़िल्म हो।सिनेमाघरों तक दर्शक परिवार के साथ फिल्म देखने पहुंचते ही नहीं हैं।जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ भोजपुरी में अश्लीलता फैलाने वाले गायक जिम्मेदार हैं।जिन्होंने अश्लील गीत संगीत से सभी दर्शकों के दिमाग़ मे अश्लीलता की छाप छोड़ दी है।जबकि भोजपुरी फिल्मों कोई अश्लीलता नहीं होती है।अश्लीलता के कारण भोजपुरी इंडस्ट्री दोबारा नीचे की ओर जा रहीं हैं।जिसके कारण नुकसान हो रहा हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अश्लील गीत संगीत पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए सांसद तथा भोजपुरी इंडस्ट्री के सुपरस्टार अभिनेता रवि किशन शुक्ला ने क़ानून बनाया हैं।जो पूर्ण रूप से लागू नहीं है।
यदि भोजपुरी परिवार और इंडस्ट्री को उच्च स्तर पर देखना चाहते हैं, तो भोजपुरी गीत संगीत से अश्लीलता को समाप्त करना होगा।
अभिनय सिंह राजपूत ने म्यूजिक कंपनियों से अपील किया हैं कि जितने भी म्यूजिक कंपनी हैं।अश्लील गीत को अपने चैनल पर अपलोड न करें।जिन गायक को संगीत के सात सुरों का ज्ञान नहीं हैं और अश्लील गाकर ट्रेंडिंग होते हैं।
उन्होंने बिहार ,उत्तर प्रदेश तथा भारत सरकार से निवेदन किया हैं कि जो अश्लीलता के खिलाफ क़ानून बनी है।वह सभी पर सख्ती से लागू किया जाए।यदि इस पर सुधार नहीं किया गया तो भोजपुरी इंडस्ट्री को विलीन होने में समय नहीं लगेगा।
[metaslider id="347522"]