रायपुर, 06 जून । राज्य में सुशासन लाने के लिए विष्णु सरकार बड़े पैमाने में आईटी का इस्तेमाल करने वाली है। जनकल्याणकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग, वित्तीय प्रबंधन, करों की वसूली, और भूमि संबंधी रिकॉर्ड के पंजीयन, संधारण और संशोधन सहित सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आईटी का उपयोग होगा। सरकार शासकीय योजनाओं की पहुंच बढ़ाने और प्रशासन को मजबूत व पारदर्शी बनाने के लिए ठोस पहल कर रही है, जिसे बजट में शामिल किया गया है। जनकल्याणकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए अटल डैशबोर्ड की शुरूआत की गई है।
मुख्यमंत्री साय की पहल पर हाल ही में आईआईएम रायपुर में देश के प्रमुख विशेषज्ञों के साथ दो दिनों की बौद्धिक परिचर्चा का आयोजन हुआ। इसमें सुशासन और नागरिक अपेक्षाओं को पूरा करने के सभी उपायों पर चर्चा की गई। वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में रायपुर-भिलाई और आसपास के क्षेत्रों को स्टेट कैपिटल के रूप में विकसित कर विश्व स्तरीय आईटी सेक्टर तैयार करने का लक्ष्य है। सभी विभागों में आईटी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 266 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
नवा रायपुर, अटल नगर में “लाईवलीहुड सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” और दुर्ग जिले में “सेंटर ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप” स्थापित करने का लक्ष्य है। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना और बीपीओ एवं केपीओ को आकर्षित करने के लिए आईटी पार्क की स्थापना की योजना है। नवा रायपुर में आईटी आधारित रोजगार सृजन हेतु ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल का विकास किया जाएगा, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
बजट में छत्तीसगढ़ सेंटर फॉर स्मार्ट गवर्नेन्स की स्थापना सहित प्रदेश के 168 नगरीय निकायों में ई-गवर्नेन्स के तहत बजट और अकाउंटिंग मॉड्यूल स्थापित करने के प्रावधान शामिल हैं। 47 नगरीय निकायों में प्रॉपर्टी सर्वे के लिए जीआईएस आधारित सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा। शासकीय धन के आय-व्यय की दैनिक निगरानी के लिए एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (IFMIS-2.0) शुरू की जाएगी। पीएम वाणी के तहत प्रथम चरण में एक हजार ग्राम पंचायतों में वाई-फाई के माध्यम से हॉट-स्पॉट इंटरनेट सुविधा दी जाएगी। वस्तु एवं सेवाकर के संकलन में सुधार और पारदर्शिता के लिए राज्य मुख्यालय में बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट की स्थापना की जाएगी। वस्तु एवं सेवाकर संबंधी अपीलीय मामलों के त्वरित निराकरण हेतु अधिकरण की स्थापना की जाएगी।
भूमि और भवनों का हस्तांतरण तथा अन्य पंजीकृत संव्यवहार के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) सॉफ्टवेयर का उपयोग सभी जिलों में लागू किया जाएगा। भू-नक्शों का जियो-रेफरेंसिंग कराया जाएगा और प्रत्येक भू-खंड में यूएल पिन नंबर देते हुए भू-आधार कार्ड जारी किया जाएगा। भू-अभिलेखों को सिविल न्यायालयों से लिंक किया जाएगा और भूमि व्यपवर्तन की प्रक्रिया को ऑनलाइन और सरल बनाया जाएगा।
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