ग्लोबल वार्मिंग से खतरे हैं भरपूर पर्यावरण की रक्षा से कर सकते हैं इन्हें दूर – डाॅ. संजय गुप्ता

हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो प्रकृति के प्रति सम्मान एवं अखण्डता का भाव जागृत करें-डाॅ. संजय गुप्ता

पर्यावरणीय स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी-श्री निर्विकार (डीआईजी, सीआईएसएफ)

पर्यावरण को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी हम सभी की-श्री भास्कर कुमार (सीनियर कमोन्डेंट, सीआईएसएफ)

प्रदूषण रोकने का सही उपाय वृक्षारोपण-श्री अक्षय (असिस्टेंट कमांडेंट, सीआईएसएफ)

पर्यावरण बचाने को सब आएं आगे-श्री विपिन मालिक (डायरेक्टर, एसीबी)

पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष जरूरी-कैप्टेन ए.के. सिंह (जी एम एडमिन, एसीबी)

कोरबा, 06 जून । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विद्यार्थियों ने अतिथियों एवं प्राचार्य के साथ किया विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विभिन्न फलदार , छायादार एवं औषधीय पौधों का रोपण। लिया पौधों की सुरक्षा व संरक्षण का संकल्प। इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में विद्यालय परिसर में विभिन्न फलदार, छायादार एवं औषधीय पौधों का रोपण कर किया पृथ्वी माता का श्रृंगार ,लिया पर्यावरण संरक्षण व सुरक्षा का संकल्प।

पर्यावरण में सभी चीजें शामिल हैं – सजीव और निर्जीव – जिनका मानव अस्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। यह हमारे दैनिक जीवन के सुचारू संचालन के लिए महत्वपूर्ण है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। पर्यावरण, प्रकृति, साथ ही इसमें रहने वाली शानदार प्रजातियाँ, मानव घर से बहुत पहले अस्तित्व में थीं। ग्रह पर हर प्रजाति, चाहे जमीन पर हो या पानी में, सौहार्द्रपूर्वक सह-अस्तित्व में थी। हम पृथ्वी पर तरह-तरह के परिवेशों में रहते हैं । यह परिवेश ही हमारा पर्यावरण है । हम खाते हैं, साँस लेते हैं, कपड़े पहनते हैं, बच्चे पैदा करते हैं और अंत में मर जाते हैं। उसके बाद अगली पीढ़ी आती है और इस तरह जीवन चक्र चलता रहता है, और मानव प्रजाति इस पृथ्वी पर फलती-फूलती है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं । पर्यावरण से हमारा तात्पर्य चारों ओर के उस परिवेश से है जिससे हम घिरे हैं। आसान शब्दों में कहे तो जो कुछ भी जीव के चारों ओर उपस्थित होता है, वह उसका पर्यावरण कहलाता है। इस तथ्य के कारण कि वर्तमान में तकनीकी प्रगति के कारण पहले से कहीं अधिक मिलें, कारखाने और ऑटोमोबाइल हैं। इससे पर्यावरण की समस्या दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही हैं। मनुष्य और पर्यावरण एक दूसरे पर निर्भर करते है। इस प्रकार यदि हमारे वातावरण में कोई परिवर्तन होता है, तो इसका सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ेगा। प्राकृतिक एक परिवेश है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाने में सहायता करता है। मनुष्यों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों का विकास प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा सहायता प्राप्त है। जो पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। मनुष्य अपनी कुछ बुरी आदतों और खराब व्यवहारों के कारण पर्यावरण को बर्बाद कर रहा है।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विश्व पर्यावरण दिवस को विद्यार्थियों ने आगंतुक अतिथियों, विद्यालय स्टाफ एवं प्राचार्य सहित विद्यालय परिसर में अनेक प्रकार के फलदार, छायादार एवं औषधीय पौधों का रोपण किया। सभी ने पौधे लगाकर उसकी सुरक्षा एवं सतत देखभाल करने की शपथ भी ली। विद्यालय परिसर में हर साल अनेक प्रकार के पौधे लगाकर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। आज इंडस पब्लिक स्कूल एक बेहतरीन ऑक्सीजोन के रूप में विकसित हो चुका है, जहां विद्यार्थी न सिर्फ अध्ययन करते हैं, अपितु पेड़ों की छाया में असीम सुख का अनुभव भी करते हैं। साथ ही बायोलॉजी से संबंधित विभिन्न प्रायोगिक ज्ञान भी प्राप्त करते हैं। यह सब संभव हो पाया विद्यालय प्रबंधन एवं प्राचार्य महोदय के निरंतर एवं दूरगामी प्रयास के कारण। आज की स्थिति में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका हरियाली से आच्छादित है एवं सहसा सभी का मन आकर्षित कर लेता है।
गौरतलब है की विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधरोपण हेतु विद्यालय में विशेष रूप से अतिथियों के रूप में श्री निर्विकार (डीआईजी, सीआईएसएफ), श्री भास्कर कुमार (सीनियर कमोन्डेंट, सीआईएसएफ), श्री अक्षय (असिस्टेंट कमांडेंट, सीआईएसएफ), श्री विपिन मलिक (डायरेक्टर, एसीबी), कप्तान ए. के. सिंह (एडमिन, एसीबी) उपस्थित थे। सभी अतिथियों ने विद्यालय परिसर में विभिन्न औषधीय एवं छायादार पौधों का रोपण किया।

श्री निर्विकार (डीआईजी, सीआईएसएफ) ने कहा कि यदि हमें अपने भविष्य को खुशहाल देखना है तो हमें अधिक से अधिक पौधों को लगाकर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। यदि पृथ्वी हरी भरी होगी तभी हमारा जीवन भी हरा – भरा व खुशहाल होगा। वास्तव में यह पेड़ पौधे ही हमारे जीवन दाता है यही हमारे ईश्वर हैं हम जितना अधिक प्रकृति के करीब होंगे उतने ही अधिक संतुष्ट वह खुशहाल होंगे। संतों ने भी हमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति की ओर लौटें का ही संदेश दिया है । हम जितना अधिक प्रकृति से दूर होंगे ,हमारा जीवन उतना ही कष्टप्रद होता जाएगा। हमें अभी भी यदि समझ नहीं आया तो बहुत देर हो जाएगी। पृथ्वी आग का गोला बन जाएगा । जिसका अनुभव हमने इस वर्ष किया है। आइए संकल्प लें और अधिक से अधिक पौधे लगाकर पृथ्वी को हरियाली से आच्छादित कर दें।

श्री भास्कर कुमार (सीनियर कमोन्डेंट, सीआईएसएफ) ने कहा कि आज पृथ्वी पर दिन-प्रतिदिन बढ़ता हुआ तापमान पृथ्वी पर लगातार काम होते पेड़ पौधों का ही परिणाम है। हमें अभी भी यह समझ नहीं आया कि हम पेड़-पौधों को काटकर सुखी रहने की कोई कल्पना करते हैं तो यह हमारी बहुत बड़ी बेवकूफी व नासमझी है । हमें हर हाल में पेड़ पौधों की सुरक्षा करनी है और अधिकाधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे, तभी यह पृथ्वी बच पाएगी और हम बच पाएंगे।

श्री अक्षय (असिस्टेंट कमांडेंट, सीआईएसएफ) ने अपने उद्बोधन में कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षण हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है। इस पृथ्वी पर जितना अधिकार हमें जीवित रहने का व सुखी रहने का है उतना ही अधिकार अन्य जीव जंतुओं व पेड़ पौधों का भी है। हमें कभी भी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए पेड़ पौधों व जीव जंतुओं को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। इससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ा है व हमें विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। हमें हर हाल में पेड़ पौधों और जीव जंतुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

श्री विपिन मालिक (डायरेक्टर, एसीबी) ने कहा कि यदि हम पेड़ लगाते हैं तो इसकी सुरक्षा व देखभाल की भी जिम्मेदारी हमारी ही है। हम महज फोटो खींचाने के लिए या लोगों को दिखाने के लिए ही पेड़ न लगाएं, पेड़ लगाकर हम उसे सुरक्षा प्रदान करें । अपने घर के सदस्यों की तरह इनकी देखभाल करें। सेवा करें, समय पर खाद व पानी दें । तभी जाकर वह अपना विशाल रूप ले पाएगा। पेड़ पौधों से हमें लाभ ही लाभ है। पेड़ हमें छाया, फल, लकड़ी, औषधि व विभिन्न प्रकार की चीज प्रदान करता है। पेड़ पौधों व जीव जंतुओं से हमें कभी कोई नुकसान नहीं होता। यदि हम पर्यावरण की एक कड़ी को भी डिस्टर्ब करते हैं, तो पर पूरा पर्यावरण संतुलन डिस्टर्ब हो जाता है। हमें प्रत्येक परिस्थिति में पर्यावरण की सुरक्षा करनी है। पेड़ – पौधों की सुरक्षा करनी है। जीव जंतुओं की सुरक्षा करनी है। हमें जल, थल, वायु सभी प्रकार की सुरक्षा व संरक्षण का संकल्प लेना है । पेड़ – पौधे हमारे भगवान हैं । नदी, पहाड़, झरने सब ईश्वर के रूप हैं। हमें हमेशा इनको सम्मान देना है उनकी सुरक्षा करनी है।

कैप्टेन ए. के. सिंह (जी. एम. एडमिन, एसीबी) ने कहा कि जीवन शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है जीव़़ वन। अर्थात पृथ्वी पर वन रहेंगे तभी जीव रहेंगे। पृथ्वी पर यदि हमें जीवन को फलता फूलता देखना है, जीवन को सुरक्षित देखना है या जीवन को बचाना है तो सबसे पहले हमें पर्यावरण को बचना होगा । हमें प्रदूषण को रोकना होगा। हमें पेड़ पौधों की सुरक्षा करनी होगी । हमें पहाड़ों को काटने से बचाना होगा झरनों को कल – कल, छल-छल करते देखना होगा। यदि हमें बारिश की रिमझिम फुहारों का आनंद लेना है, तो हमें बारिश को आकर्षित करने वाले इन देवता तुल्य पेड़ पौधों को बचाना ही होगा । हम अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और पृथ्वी को बचाएं। आइए आज हम यह संकल्प लें।

विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण स्वस्थ जीवन और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । पृथ्वी विभिन्न जीवित प्रजातियों का घर है और हम सभी भोजन, हवा, पानी और अन्य जरूरतों के लिए पर्यावरण पर निर्भर हैं। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपने पर्यावरण को बचाना और संरक्षित करना महत्वपूर्ण है। यह हमें स्वच्छ हवा, पानी, भोजन, सामग्री और मनोरंजन के लिए स्थान प्रदान करता है । प्रकृति में समय बिताना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। और यदि हम ग्रह, इसकी जलवायु और पारिस्थितिक तंत्र का ध्यान नहीं रखते हैं, तो हम अपने समाज के कामकाज को कमजोर कर देते हैं, हमारे जीवन को खराब कर देते हैं और, शायद सबसे सीधे तौर पर, हमारी अपनी भलाई को नुकसान पहुंचाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद समस्त भौतिक परिवेश को पर्यावरण कहा जाता है। पर्यावरण में सभी जीवित और निर्जीव सभी चीजें शामिल हैं। पर्यावरण के निर्जीव भाग के तीन मुख्य भाग हैंः वायुमंडल, जलमंडल और स्थलमंडल।


हमें आज यह अवश्य सोचना होगा की आज हमें पर्यावरण दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी। शायद हमने बहुत पहले से ही पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया है, इसीलिए उस दिन की आवश्यकता हुई। आज हम संकल्प लें कि आज के पश्चात हम किसी भी स्तर पर अपने घर अर्थात अपनी मां स्वरूप पृथ्वी को दूषित नहीं करेंगे। अधिक से अधिक पौधों को रोपेंगे और उसे पेड़ों के रूप में विकसित करेंगे।पृथ्वी को हरियाली से श्रृंगार करेंगे। आइए हम प्रकृति की ओर लौटें। अपनी पृथ्वी को स्वच्छ व सुंदर बनाएं।

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