कोरबा, 31 मई – इस वर्ष जिस तरह तापमान में वृद्धि हुई हैं उससे लोगों को सिख लेने की आवश्कता हैं हमें समझना होगा की प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्ष (पेड़) हमारे देश और आने वाली पीढ़ी के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं, सभी आम जनों को यह प्रतिज्ञा लेनी होगी की हमारे देश की प्रगति और हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए बड़े पैमाने में इस वर्ष के वर्षा ऋतु में वृक्षारोपण करना होगा, हमें अपनी दैनिक दिनचर्या में इस कार्य को लाना होगा तब जाकर कहीं हम हमारे देश और आने वाली पीढ़ी को एक आने वाले संकट से बचा पाएंगे।
वृक्षारोपण से प्रदूषण भी कम होता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों का जीवन अधिक सुरक्षित होता है, वृक्ष कई तरह से पर्यावरण को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं, वे बिना शर्त जीवित प्राणियों को सांस लेने के लिए ताजी हवा, भोजन और मानव अस्तित्व के लिए विभिन्न प्रकार की आवश्यकताएं, जैसे आश्रय, दवा, उपकरण और बहुत कुछ प्रदान करते हैं साथ ही विभिन्न पक्षियों और जानवरों का घर भी हैं इसके अलावा, वे जैव विविधता, पानी, मिट्टी का संरक्षण करते हैं और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं पेड़ों में कई औषधीय गुण भी होते हैं और इनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिससे वे स्वस्थ, घुटन-मुक्त और प्रदूषण-मुक्त जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
आज हम जिस जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग संकट का सामना कर रहे हैं, उसके पीछे वनों की कटाई एक प्रमुख कारक है, इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाएँ हुई हैं, जिससे पारिस्थितिक असंतुलन, रेगिस्तानीकरण, मिट्टी का कटाव, फसल की पैदावार में कमी, बाढ़, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि और पौधों और जानवरों की कई प्रजातियों का विलुप्त होना हुआ है,वनों की कटाई के कारण दिन-रात तापमान में भारी बदलाव होता है, जो रेगिस्तान के समान है, जो कई निवासियों के लिए घातक साबित हो सकता है।
वर्षा वनों में पेड़ कई प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं और एक छत्र बनाते हैं जो तापमान को नियंत्रित करता है, वे जल चक्र को विनियमित करके वायुमंडल में पानी के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं ,वनों की कटाई वाले क्षेत्रों में, हवा में मिट्टी में वापस जाने के लिए कम पानी होता है, जिससे मिट्टी सूख जाती है और फसलें नहीं उग पाती हैं।
चूँकि पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, इसलिए ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वृक्षारोपण सबसे प्रभावी जैविक तरीका हैं।
जितेंद्र सारथी ने सभी आम जनों से अपिल करते हुए कहा कि वृक्षारोपण करना केवल सरकार या शासन की ज़िम्मेदारी नहीं बल्की हर एक व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी हैं, इस बात को हमें समझना होगा।
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