जानिए अक्षय उर्जा का लक्ष्य हासिल करने की स्थिति में कहां खड़ा है भारत राजस्थान, गुजरात ,महाराष्ट्र और कर्नाटक का अक्षय उर्जा में सबसे ज्यादा योगदान

मिनिस्ट्री ऑफ न्यू रिन्यूएबल एनर्जी के नए आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2023-24 में रिकॉर्ड 18.48 गीगावॉट की अक्षय उर्जा क्षमता हासिल कर ली है, जो एक साल पहले के 15.27 गीगावॉट से 21% अधिक है। हालाँकि, इंडस्ट्री एक्सपर्टस की मानें तो 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय उर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए अगले 6 सालों तक सालाना कम से कम 50 गीगावॉट अक्षय उर्जा क्षमता जोड़ने की आवश्यकता है।


30 अप्रैल 2024 के राज्यवार आंकड़े बताते है कि राजस्थान हाई सोलर एनर्जी वाला राज्य होने के नाते भारत की सोलर एनर्जी में क्षमता में 21,470 मेगावॉट का योगदान दे रहा है। इसके अलावा गुजरात करीब 13,798 मेगावॉट, महाराष्ट्र 6,309 मेगावॉट और कर्नाटक 8,718 मेगावॉट योगदान देता है।


राज्यों की बात करें तो अक्षय उर्जा की अनुमानित क्षमता के अनुसार राजस्थान की हिस्सेदारी सबसे अधिक लगभग 20.3% और महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक की हिस्सेदारी मिलाकर 32% है । गुजरात और राजस्थान में लगभग 27 गीगावॉट की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता है, इसके बाद तमिलनाडु में लगभग 22 गीगावॉट, कर्नाटक में लगभग 21 गीगावॉट और महाराष्ट्र में लगभग 17 गीगावॉट है। हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश ने लगभग 11 गीगावॉट की अक्षय उर्जा क्षमता स्थापित की है।


राजस्थान में अदाणी ग्रीन की बात करें तो रिन्यूएबल एनर्जी में इनका यहां कुल 3,990 मेगावाट का ऑपरेशन है। इसमें ना सिर्फ सोलर एनर्जी, बल्कि वहां भारत का पहला दुनिया का सबसे बड़ा हाइब्रिड प्लांट भी स्थापित है। हाल ही में, अदाणी ने राजस्थान के जैसलमेर के देवीकोट में 180 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट चालू कर दिया है। ये प्लांट सालाना लगभग 540 मिलियन बिजली यूनिट का उत्पादन करेगा, 1.1 लाख से अधिक घरों को बिजली देगा और लगभग 3.9 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन को कम करेगा। सबसे खास बात है कि यह प्लांट वाटरलेस रोबोटिक मॉड्यूल पर आधारित है जो बिना पानी के साफ-सफाई करने में सक्षम है साथ ही जैसलमेर के बंजर क्षेत्र में जल संरक्षण को सक्षम बनाता है। इसके अलावा एनर्जी नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर (ईएनओसी), जो सुरक्षित डिजिटल क्लाउड प्लेटफॉर्म पर आधारित हैl


अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड गुजरात के खावड़ा में 2 हजार मेगावाट की सोलर कैपिसिटी स्थापित कर चुका है जिससे वो 10 हजार मेगावाट से ज्यादा उर्जा देने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है। अदाणी का 10,934 मेगावाट का ऑपरेशनल पोर्टफोलियो 58 लाख से अधिक घरों को बिजली देगा और सालाना लगभग 2 करोड़ 10 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन से बचाएगा।


31 मार्च, 2024 के आंकड़ों के मुताबिक भारत की स्थापित अक्षय उर्जा क्षमता 143.64 गीगावॉट है, जिसमें 47 गीगावॉट बड़ी हाइड्रो इलेक्ट्रिक कैपेसिटी (प्रत्येक प्लांट 25 गीगावॉट या उससे अधिक) को छोड़कर है। अक्षय उर्जा क्षमता के बीच, कुल सोलर स्थापित क्षमता 81.81 गीगावॉट पर सबसे ज्यादा है, इसके बाद लगभग 46 गीगावॉट विंड एनर्जी, गीगावॉट बायोमास प्रोडक्शन 9.43 और 5 गीगावॉट स्मॉल हाइड्रो पावर (प्रत्येक 25 मेगावाट क्षमता तक) है।

अक्षय उर्जा में सही दिशा में बढ़ रहा भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर

भारत अक्षय ऊर्जा में महत्वपूर्ण वृद्धि की योजना बना रहा है जिससे अक्षय ऊर्जा क्षमता तीन गुना करने का लक्ष्य प्राप्त करना व्यवहार्य होगा। इसके अनुसार, भारत को 2030 तक अपनी करीब 32% बिजली सौर ऊर्जा से और 12% विंड एनर्जी से हासिल करनी होगी। इसके लिए भारत को अपनी एनईपी14 योजना में निर्धारित लक्ष्यों में शीर्ष पर 2030 तक 115 गीगावाट सौर ऊर्जा और नौ गीगावाट पवन ऊर्जा की अतिरिक्त उत्पादन क्षमता हासिल करनी होगी। इससे 2030 तक भारत की कुल अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़कर 448 गीगावाट सौर ऊर्जा और 122 गीगावाट पवन ऊर्जा तक पहुंच जाएगी। भारत का वर्तमान लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता तक पहुंचना है। भारत को अपनी रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी का विस्तार करने और इसे आईईए के प्रस्तावित ‘नेट-जीरो’ करने के लिए 101 अरब डॉलर के अतिरिक्त फाइनेंस की जरूरत होगी। आईईए ने साल 2050 तक कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को ‘नेट-जीरो’ के स्तर पर पहुंचाने की वैश्विक रूपरेखा तैयार की है। ग्लोबल थिंक टैंक क्लाइमेट एनालिटिक्स के मुताबिक है कि साल 2030 तक जो देश अक्षय ऊर्जा को तीन गुना करने के अपने लक्ष्य को पा सकते हैं उसमें भारत भी शामिल हैं।

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