बिलासपुर, 22 मई। इलाज व ऑपरेशन में लापरवाही से युवक की मौत मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने डॉक्टर व अस्पताल को 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। साथ ही, आदेश की कॉपी स्टेट मेडिकल काउंसिल को भेजने के निर्देश दिए हैं, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगे। जांजगीर-चांपा जिले के मंगला के दीनदयाल कॉलोनी निवासी छोटेलाल टंडन के गले में दर्द और दोनों हाथों में कमजोरी की परेशानी थी।
परिजन उसे 12 नवंबर 2016 को इलाज के लिए मगरपारा स्थित न्यू वेल्यू हॉस्पिटल लेकर आए थे। यहां लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. ब्रजेश पटेल ने एमआरआई करवाई और ऑपरेशन की सलाह दी। परिजनों ने कहा कि बेहतर इलाज के लिए जरूरत होने पर दूसरी जगह चले जाएंगे, लेकिन डॉ. पटेल ने खुद को बेहतर सर्जन बताया और 28 दिसंबर 2016 को उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया। 29 दिसंबर 2016 को सर्वाइकल स्पाइन की सर्जरी की।
ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत खराब हो गई, परिजनों ने बार- बार इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। मरीज की हालत बिगड़ने पर प्रबंधन ने खून चढ़ाने की जरूरत बताई और परिजनों से 4 हजार रुपए लिए। अस्पताल के कर्मचारी बाहर से ब्लड लेकर आए और फ्रिज में रख दिया, जिसे अगले दिन चढ़ाया गया। इसके बाद मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी।
इंफेक्शन हो गया और पेट फूलने लगा। पूरे शरीर में सूजन आ गया। परिजनों ने प्रबंधन को इसकी जानकारी दी। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष आनंद कुमार सिंघल, सदस्य पूर्णिमा सिंह और आलोक पाण्डेय की पीठ ने मामले की सुनवाई की और अस्पताल प्रबंधन व डॉ. ब्रजेश पटेल को जिम्मेदार ठहराते हुए 45 दिनों में 10 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के तौर पर देने के आदेश दिए हैं। वाद व्यय के रूप में 5 हजार रुपए भी देने होंगे।
दूसरा ऑपरेशन करने के बाद रेफर किया
प्रबंधन ने बाहर ले जाकर एक्स-रे करवाया और बताया कि मरीज की अंतड़ी फट गई है, जिसके तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है। 6 जनवरी 2017 को दूसरा ऑपरेशन किया गया। इसके बाद मरीज की स्थिति और बिगड़ने लगी। परिजनों ने बार-बार डिस्चार्ज करने का आग्रह किया, जिससे वे उसे दूसरे अस्पताल ले जा सकें, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बात नहीं मानी। आखिरकार 10 जनवरी 2017 को हालत नाजुक होने पर रेफर किया, लेकिन अपोलो हॉस्पिटल ले जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई।
डिस्चार्ज टिकट, समरी शीट नहीं दी
परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से डिस्चार्ज टिकट और समरी शीट मांगी। यह उपलब्ध कराने के बजाय झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर को नोटिस भेजा, लेकिन जवाब नहीं दिया गया।
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