इंदौर, 15 मई, 2024: मनुष्य को प्यास बुझाने के लिए बड़ी ही सहजता से ठंडा पानी उपलब्ध हो जाता है, लेकिन मूक पशु-पक्षियों के लिए यह इतना आसान नहीं है। तपती धूप में नन्हें पक्षी दिन भर प्यास से तड़पते हैं और यह प्यास हर गर्मी, हजारों पक्षियों की मौत का कारण बन जाती है। इन बेज़ुबानों के लिए इंदौर की सामाजिक संस्था, बीइंग रेस्पॉन्सिबल इस वर्ष भी #दानापानी (#DanaPani) पहल कर रही है, जिसकी थीम है “बेज़ुबान हैं, तो क्या हुआ, प्यास उन्हें भी लगती है”। इस पहल के अंतर्गत मिट्टी के सकोरे और ज्वार-बाजरे का वितरण किया जा रहा है, ताकि घर की छत पर आकर पक्षी अपनी भूख और प्यास बुझा सकें। यह पहल पूर्णतः निःशुल्क और निःस्वार्थ है।
दाना-पानी पहल के बारे में बात करते हुए, बीइंग रेस्पॉन्सिबल के सदस्य विनीत भट ने कहा, “हमारा छोटा-सा प्रयास घरों के आस-पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनका जीवन बचा सकता है। जिस तरह से हमारे लिए गर्मियों में जगह-जगह प्याऊ की व्यवस्था की जाती है, ठीक वैसे ही पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था की जाना चाहिए।
गौरतलब है कि संस्था का यह सेवाभाव सिर्फ दाना-पानी तक ही सीमित नहीं है, इसके अंतर्गत नंगे पैर (बच्चों और महिलाओं को धूप के प्रकोप से बचाने के लिए कैप और चप्पल का वितरण), मोची भाई (शू रिपेयर्स की दुकानों के लिए नाम और जानकारी सहित स्टैन्डीज़ (बैनर) का वितरण), गन्ने का रस (गन्ने के रस के ठेले के लिए नाम और जानकारी सहित बैनर का वितरण), तेल-मालिश (बुजुर्गों को जोड़ों आदि के दर्द से राहत दिलाने हेतु मालिश) और डे केयर सेंटर (बुजुर्गों को अपने हमउम्र के साथ समय व्यतीत करने में सहायता हेतु खेल आदि सहित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन) जैसी सार्थक पहल की जा रही हैं, जो कि पूरी तरह निःशुल्क हैं।
[metaslider id="347522"]