IPS में मदर्स डे पर भव्य आयोजन : जिंदगी‬ की पहली टीचर ‬होती है ‎मां‬ – डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा, 12 मई I दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में मदर्स डे के उपलक्ष्य पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
हर एक के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान के रूप में होती है । सुबह के समय वह बहुत प्यार से हमें बिस्तर से उठाती है और रात को प्यारे सपनों के साथ कहानियाँ सुनाकर सुलाती है । ऐसी अनेक भावनाओं को व्यक्त करते हुए विविध कार्यक्रम जो कि नृत्य एवं गीतों के रूप में बच्चों के द्वारा मदर्स डे के अवसर पर प्रस्तुत किया गया जिसमें एकल गीत, समूह गीत, समूह नृत्य एवं मन को छू लेने वाले विचार जो कि माँ के लिए प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम में आमंत्रित सुपर मॉम की पदवी से सम्मानित माताओं को प्राचार्य के द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर शशि सिंधु(प्रेसिडेंट महिला मंडल, एसीबी) श्रीमती बबिता कुमार, श्रीमती अरुणा सुरेश कुमार, श्रीमती रश्मि सिंह, श्रीमती रश्मि सिंह, श्रीमती संगीता सिंह, श्रीमती ज्योति प्रसाद, श्रीमती मंजुला कदियान उपस्थित थी। साथ ही विद्यालय में पढ़ने वाले एवं समर कैम्प में भाग लेने वाले अन्य विद्यालय के बच्चों की माताओं को भी विद्यालय में मदर्स डे के अवसर पर सहसम्मान आमंत्रित किया गया । गणमान्य अतिथियों के समक्ष संचालक के रूप में विद्यालय के सौभाग्य रंजन,तमन्ना सिंधु,राज नंदिनी तथा विशाल सिंह ने कार्यक्रम को बखूबी संचालित किया। विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम अपने दिल की भावनाओं को व्यक्त करते हुए जीवन में माँ के महत्व को बताया तत्पश्चात बच्चों के द्वारा नृत्य एवं गीत के माध्यम से माँ और उसकी ममता का बखान किया गया ।

कार्यक्रम में विशेष वक्त के रूप में आमंत्रित श्रीमती नीलोफर खान सिंह ने मां के महत्व और योगदान पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा किमाँ ही बच्चे की पहली और सबसे अच्छी दोस्त होती है, जिससे हम बिना किसी झिझक के अपने दिल की हर बात बता देते हैं। इतिहास कई सारी ऐसे घटनाओं के वर्णन से भरा पड़ा हुआ है। जिसमें मताओं ने अपने संतानों के लिए विभिन्न प्रकार के दुख सहते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। यही कारण है कि माँ के इस रिश्तें को आज भी संसार भर में सबसे सम्मानित तथा महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक माना जाता है। विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक भाव विभोर कर देने वाले नृत्य की प्रस्तुति दी। समर कैंप के बच्चों ने ऊर्जा से परिपूर्ण मार्शल आर्ट की भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में उपस्थित मदर्स ने भी मां को समर्पित गीत पर नयनाभिराम प्रस्तुति दी। मदर्स के लिए मनोरंजक गेम्स का आयोजन किया गया,जिसका सभी पेरेंट्स ने भरपूर आनंद लिया।

इस कार्यक्रम की अतिथि डॉ. शशि सिंधु ने विद्यालय की इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि हमारे जीवन में माँ की भूमिका हमेशा अलग होती है और जीवन में शामिल दुसरे लोगों से अनमोल होती है । माँ का पूरा दिन हमारी जरूरतों को पूरा करने में बीत जाता है । वो अपने बच्चो से कुछ भी वापस पाना नहीं चाहती बल्कि हमें खुले दिल से प्यार करती है ।

श्रीमती बबिता कुमार ने कहा कि हमने भगवान को कभी नहीं देखा और देखने की जरूरत भी नहीं क्योंकि माँ की सुरत के जैसे ही भगवान की मुरत होगी । माँ का पूरा दिन हमारी जरूरतों को पूरा करने में बीत जाता है । श्रीमती अरुणा सुरेश कुमार ने कहा कि माँ ही वो इंसान है जो अपने बच्चों के बुरे दिनों और बीमारियों में उनके लिए रात-रात भर जागती है । हमेशा बच्चों को सही राह पर आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करती है और जीवन में सही कार्य करने को प्रेरित करती है । भावनाओं से भरे इस कार्यक्रम में मनोरंजन के रूप में उपस्थित माताओं के लिए अनेक मनोरंजक खेलों का आयोजन किया गया जिसमें माताओं ने उल्लासपूर्ण हृदय से अपनी सहभागिता दर्शायी । विजयी माताओं को विद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया ।

श्रीमती रश्मि सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। यहीं कारण है प्रायः संसार में ज्यादेतर जीवनदायनी और सम्माननीय चीजों तो माँ के संज्ञा दी गयी है जैसे कि भारत माँ, धरती माँ, पृथ्वी माँ, प्रकृति माँ, गौ माँ आदि। इसके साथ ही माँ को प्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति भी माना गया है।

श्रीमती संगीता सिंह ने कहा कि माँ वह है जो हमें जन्म देती है, यहीं कारण है कि संसार में हर जीवनदायनी वस्तु को माँ की संज्ञा दी गयी है। यदि हमारे जीवन के शुरुआती समय में कोई हमारे सुख-दुख में हमारा साथी होता है तो वह हमारी माँ ही होती है। माँ हमें कभी इस बात का एहसास नही होने देती की संकट के घड़ी में हम अकेले हैं। इसी कारणवश हमारे जीवन में माँ के महत्व को नकारा नही जा सकता है।

श्रीमती ज्योति प्रसाद ने कहा कि माँ एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। हम माँ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। माँ के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन माँ का नाम लेना नही भूलता है। माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक माँ दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधाएं देना चाहती है।हर व्यक्ति के जीवन में उसकी माँ एक शिक्षक से लेकर पालनकर्ता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। इसलिए हमें अपनी माँ का सदैव सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमसे भले ही नाराज हो जाये लेकिन एक माँ अपने बच्चों से कभी नाराज नही हो सकती है। यही कारण है कि हमारे जीवन में माँ के इस रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से इतना ज्यादे महत्वपूर्ण माना गया है।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने माताओं के प्रति अपनी भावनाओं करते हुए कहा कि माँ और बच्चों के बीच में एक खास बंधन होता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता कोई माँ कभी भी अपने बच्चों के लिए प्यार और परवरिश को कम नहीं करती लेकिन बड़ी विडम्बना है कि उस माँ के हम सभी बच्चे मिलकर भी उस माँ को थोड़ा सा प्यार नहीं दे पाते इसके बावजूद भी वो हमें गलत नहीं समझती और एक छोटे बच्चे की तरह हमें माफ कर देती है । हमारे जीवन में यदि कोई सबसे ज्यादे महत्व रखता है तो वह हमारी माँ ही है क्योंकि बिना माँ के तो जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। यही कारण है कि माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रुप भी माना जाता है। इसलिए हमें माँ के महत्व के महत्व को समझते हुए, उसे सदैव खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए। हमारे जीवन में मां की भूमिका हमेशा हमारे जीवन में शामिल अन्य की तुलना में अलग और कीमती होती है। माँ अपने बच्चों से कभी भी कुछ वापस नहीं चाहती है, बल्कि वह हमसे खुले दिल से प्यार करती है। हम एक बच्चे के रूप में भी प्यार करते हैं और उसे अपने दिल से देखते हैं लेकिन हमारे प्यार की तुलना उसके साथ नहीं की जा सकती। माँ इस दुनिया में हर किसी के जीवन में एक अद्वितीय देवी के रूप में अद्वितीय है जो हमेशा अपने बच्चे के सभी दर्द लेती है और प्यार और देखभाल देती है।

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