कला में कलाकार खुद को उजागर करता है कलाकृति को नही – डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा, 09 मई । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में संचालित समर कैंप में प्रतिभागी मिट्टी की विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाना सीख रहे हैं। विशेष शिक्षक के द्वारा विद्यार्थियों को मिट्टी के विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाने की कला सिखाई जा रही है जिनमें मिट्टी के दिए, गमले,फ्लावर पॉट,मूर्तियां, घड़े,विभिन्न आकार के बर्तन, बर्तनों में कलाकृतियां, कलश,गुल्लक,कुल्हड़,खिलौने इत्यादि बनाने का कुशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

समर एमपी विद्यार्थी भी बड़ी टैली नेट से विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को बुखार से पूछते हैं और अपनी जानकारी में इजाफा करते हैं।समर कैंप के प्रशिक्षणार्थी भी क्रमशः विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों को अपने – अपने हाथों से आकर देते हैं। प्रशिक्षक के द्वारा उन्हें सिखाया जाता है कि किस प्रकार चाक में मिट्टी के ऊपर अपने हाथ को स्थापित करना है। उन्हें बताया जाता है कि हम कच्ची मिट्टी को जैसा आकार देंगे वह वैसे आकार में ढल जाता है। प्रशिक्षक ने समर कैंप के प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि चाक के मध्य में मिट्टी को पहले तैयार करके रखा जाता है। फिर मध्य में रखकर चाक को घुमा दिया जाता है ।जैसे-जैसे मिट्टी ऊपर आती है, वैसे-वैसे हम अपने हाथों से मिट्टी को आकार देते हैं। कभी हम दिए बनाते हैं ,कभी गमले बनाते हैं ,तो कभी फूलदान बनाते हैं या घड़े बनाते हैं। सब मिट्टी का और हाथों का खेल है। हमारे दिमाग ,हमारे विचार की उपज मिट्टी में साकार रूप में हमें दिखाई देती है ।हम जैसा चाहते हैं वैसा आकार मिट्टी को दे सकते हैं ।यह हमारे सोच और विचार की उपज होती है।


इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य बच्चों में छिपी प्रतिभा को निखारना है।हमारी कोशिश रहती है कि बच्च हर कला में पारंगत हो।अंततः उनका सर्वांगीण विकास करना ही हमारी प्राथमिकता है।समर कैंप के हर एक्टिविटी में विद्यार्थियों के टैलेंट को तराशने का कार्य बखूबी किया जा रहा है,जिससे आस पास के सभी विद्यालयों के विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। कला मानव जीवन का अभिन्न अंग रहा है।चाहे वह कोई भी कला होऔर यदि आप में कला है तो आप कभी बेरोजगार नहीं रह सकते। पॉटरी भी बहुत उम्दा कला है।इस कला से हम अपनी धरती मां,अपनी मिट्टी से जुड़ते हैं। माटी हमें जिंदगी की सच्चाई से अवगत कराता है। कहा भी गया है माटी कहे कुम्हार से तु क्यों रौंदे मोहे,एक दिन ऐसा आएगा मैं रौदुंगी तोहे।

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