अगर ‘गांधी परिवार’ नहीं करता ये काम, तो कैसे बूस्ट होती उत्तर प्रदेश और हरियाणा की इकोनॉमी…

आज की तारीख में जब भी ‘गांधी परिवार’ का जिक्र होता है, तो सबसे पहले राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी की तस्वीर हमारे सामने आती है. कांग्रेस पार्टी पर ‘परिवारवाद’ के आरोप भी इसी गांधी परिवार को लेकर लगते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसी गांधी परिवार के दो सदस्यों ने अपने दौर में कुछ ऐसा काम किया था, जो अगर नहीं होता तो शायद उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों की इकोनॉमी दम तोड़ देती.

हम बात कर रहे हैं देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी और संजय गांधी की. इनमें से एक ने उत्तर प्रदेश को नोएडा जैसा शहर दिया, तो एक ने हरियाणा के लिए गुरुग्राम को बसाया. ये दोनों ही शहर अपने-अपने राज्य की इकोनॉमी में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं. चलिए जानते हैं इनके बसने की कहानी…

संजय गांधी का ड्रीम था नोएडा बसाना


भारत की राजनीति में 70 के दशक में संजय गांधी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद सबसे बड़े पॉलिटिकल फिगर थे. उनके बारे में एक बात मशहूर थी कि अगर उन्होंने कुछ करने की ठान ली, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते थे. नोएडा उनके ही दिमाग की उपज थी, जिसके बनने की कहानी शुरू होती है 1975 के आपातकाल के दौर से.

संजय गांधी, दिल्ली से सटकर यमुना की पूर्व दिशा में एक इंडस्ट्रियल शहर बसाना चाहते थे. जहां दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाली 60,000 से ज्यादा छोटी-छोटी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को शिफ्ट किया जा सके. इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को एक लैंड पार्सल मुहैया कराने के लिए कहा और इस तरह नोएडा की नींव पड़ी.

नोएडा के शुरू के 10 सेक्टर पूरी तरह से इंडस्ट्रियल हैं. इसके बाद वहां रेजिडेंशियल सेक्टर की मांग बढ़ी जिसके बाद सेक्टर 14 और 15A बने, जो आज नोएडा के सबसे पॉश इलाके हैं.

संजय गांधी नोएडा बनाने को लेकर इतने दृढ़ निश्चय थे कि इस प्रोजेक्ट पर सरकार ने महज 3 दिन में काम शुरू कर दिया और नोएडा देश की पहली ऐसी सरकारी अथॉरिटी बनी, जिसके पास फाइनेंशियल स्वायत्ता थी. जगदीश खट्टर नोएडा अथॉरिटी के पहले सीईओ बने, जो बाद में मारुति उद्योग के भी सीईओ बने थे. इतना ही नहीं अमेठी और रायबरेली के इंडस्ट्रियल एरिया को डेवलप करने का काम भी उन्होंने ही किया है.

यूपी को सबसे ज्यादा कमाकर देता है नोएडा


नोएडा आज उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को सबसे अधिक कमाकर देने वाला शहर है. राज्य की कुल जीडीपी में नोएडा की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत के आसपास है. अकेले नोएडा की इकोनॉमी आज 26 अरब डॉलर की है. वहीं उत्तर प्रदेश में प्रति वयक्ति आय के मामले में भी नोएडा सबसे ऊपर है. इस तरह देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को ये शहर बूस्ट करता है.

गुरुग्राम को सिंगापुर बनाना चाहते थे राजीव


आज हम जिसे गुरुग्राम के नाम से जानते हैं, उसका पहले नाम गुड़गांव था. गुरुग्राम के ग्रामीण इलाके को छोड़ दो आज इसकी पहचान ‘मिलेनियम सिटी’ की है, जहां गगनचुंबी इमारतों में दुनियाभर की बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऑफिस हैं. गुरुग्राम के इस रूप को बसाने के पीछे पूरा दिमाग देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का था, जो इस शहर को ‘सिंगापुर’ की तरह बसाना चाहते थे.

आज जिस गुरुग्राम को साइबर सिटी के नाम से जानते हैं, उसे डीएलएफ ने बनाया. डीएलएफ के मालिक के. पी. सिंह के गांधी परिवार से अच्छे ताल्लुक थे. के. पी. सिंह गुरुग्राम को एक इंटरनेशनल सिटी बनाने का सारा श्रेय हमेशा राजीव गांधी को देते रहे हैं. इस बारे में वह अपने कई इंटरव्यू और आत्मकथा ‘ व्हाटएवर द ऑड्स : द इंक्रेडिबल स्टोरी बिहाइंड डीएलएफ’ में विस्तार से बात कर चुके हैं. गुरुग्राम के बनने की कहानी शुरू होती है 80 के दशक में, संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा ही था. वह अपनी पायलट की नौकरी छोड़ चुके थे. उनके पास महरौली में एक फार्म हाउस था, जहां वह अक्सर खुद जीप ड्राइव करके जाते थे.

ऐसे ही एक दिन उनकी मुलाकात गुरुग्राम के रास्ते में के. पी. सिंह से हुई जो महरौली के दक्षिण में ‘नया गुड़गांव’ बनाना चाहते थे. उन्होंने राजीव को अपनी योजना के बारे में बताया और इसमें आ रही परेशानियों के बारे में भी. साथ ही ये भी बताया कि उनके पास इतना बड़ा काम करने के पैसे नहीं है और जिस 40 एकड़ जमीन पर वो ये प्रोजेक्ट बनाना चाहते हैं, उस जमीन के लिए बैंक से लोन भी मुश्किल ही मिलेगा. उस समय में देश में हाउसिंग लोन जैसी व्यवस्था नहीं होती थी.

राजीव गांधी को उनकी बात समझ आई. उन्हें लगा कि यही मौका है जब ग्रामीण गुड़गांव को एक इंटरनेशनल सिटी बनाया जा सकता है. राजीव गांधी और के. पी. सिंह के बीच वहीं अरावली के जंगल के बीच ये चर्चा करीब साढ़े 3 घंटे चली और आज गुरुग्राम हरियाणा का सबसे समृद्ध शहर है.

गुरुग्राम में खुला देश का पहला बीपीओ


बाद में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और गुरुग्राम को लेकर उनका विजन बड़ा हो गया. राजीव गांधी देश की इकोनॉमी को दुनिया के लिए ओपन करना शुरू कर चुके थे. डीएलएफ को गुरुग्राम के 556 एकड़ इलाके को डेवलप करने का लाइसेंस 1983 में ही मिल गया था.

इसी के चलते देश में अमेरिका की GE ने जब अपना पहला बीपीओ खोला, तो वह गुरुग्राम में ही खोला. भारत अगर आज दुनिया की सबसे बड़ी आईटी इंडस्ट्रीज में से एक है, तो उसकी नींव गुरुग्राम में ही पड़ी थी.

आज हरियाणा का करीब 60 प्रतिशत टैक्स कलेक्शन सिर्फ गुरुग्राम से होता है. वहीं गुरुग्राम की प्रति व्यक्ति आय हरियाणा में सबसे ज्यादा है. गुरुग्राम हरियाणा सरकार के लिए इतना मायने रखता है कि यहां राज्य सरकार ने अपना एक मिनी सचिवालय खोला है. इतना ही नहीं राज्य सरकार आबकारी कर, सेल्स टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स और स्टांप शुल्क से सबसे ज्यादा कमाई यहीं से करती है.

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