कोरबा जिले के बालको क्षेत्र में आज यानी 1 मई को मजदूर दिवस मनाया गया। परसाभांटा चौक से श्रमिक नेताओं ने रैली निकाली, जो एटक कार्यालय में जाकर खत्म हुई। यहां पर ध्वजारोहण कर बालको चिमनी हादसे में मारे गए श्रमिकों को याद किया गया। श्रमिक संगठन सीटू ने भी मजदूर दिवस पर कई आयोजन किए।
रैली निकालकर सीटू ने श्रमिकों के हित में अपनी आवाज बुलंद की। श्रमिक नेता हरिनाथ सिंह ने बताया कि 8 घंटे ड्यूटी की मांग को लेकर 1 मई 1886 को अमेरिका में मजदूरों ने विरोध-प्रदर्शन किया था, तब उन पर फायरिंग की गई थी। इसमें कई मजदूर मारे गए थे। उस घटना के बाद ड्यूटी के समय में संशोधन कर 8 घंटे किया गया, तब से लेकर आज तक 1 मई का दिन मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
परसाभांटा चौक से श्रमिक नेताओं ने रैली निकाली, जो एटक कार्यालय में जाकर खत्म हुई।
श्रमिक नेता हरिनाथ सिंह ने बताया कि 1 मई को हर साल बालको चिमनी हादसे में मारे गए मजदूरों को याद किया जाता है। उनकी याद में रैली निकाली जाती है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। बालको चिमनी हादसे में 43 मजदूरों की मौत हो गई थी। इसमें कई श्रमिक घायल भी हुए थे।
वहीं एसईसीएल एटक कार्यालय में श्रमिक नेताओं ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर ध्वजारोहण किया। इसके बाद बाइक रैली निकाली गई। श्रमिक नेता दीपेश मिश्रा ने बताया कि देश के विकास में मजदूरों की अहम भूमिका है।
ये है बालको चिमनी हादसा
बालको चिमनी हादसा एक भयावह औद्योगिक दुर्घटना है, जो 23 सितंबर 2009 को कोरबा में हुई थी। 1200 मेगावाट की बिजली संयंत्र परियोजना में निर्माण में लगी 248 मीटर ऊंची चिमनी गिर गई थी। इस हादसे में भारत एल्युमिनियम कंपनी (BALCO) के कारखाने की चिमनी गिर गई थी, जिसमें 43 ठेका मजदूरों की मौत हो गई थी।
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