नितेश तिवारी की फिल्म “छिछोरे” हमें सिखाती हैं जीवन से जुड़ी यह 5 खास बातें, डालें नजर

भारतीय सिनेमा में कई टैलेंटेड डायरेक्टर्स हैं और नितेश तिवारी उनमें से एक हैं। उनकी फ़िल्में जैसे “दंगल”, “छिछोरे”, “चिल्लर पार्टी” और “भूतनाथ रिटर्न्स” ने दर्शकों के दिलों को छू लिया है। नितेश तिवारी की फ़िल्मों में ऐसे संदेश होते हैं जो हर किसी को प्रभावित करते हैं और वह हमेशा अपनी कहानियों से लोगों को प्रभावित करने में कामयाब होते हैं।

साजिद नाडियाडवाला द्वारा प्रोड्यूस और सुशांत सिंह राजपूत स्टारर नितेश तिवारी की फिल्म “छिछोरे” ने लोगों पर गहरी छाप छोड़ी है। यह फिल्म न सिर्फ एंटरटेनिंग है बल्कि इसमें एक जरूरी संदेश भी है। तिवारी की फिल्में और किरदार हमेशा समाज को कुछ न कुछ सिखाते हैं और वह अपनी फिल्मों में एजुकेशन एलिमेंट्स को शामिल करके सभी तरह के दर्शकों तक पहुँचने की कोशिश करते हैं।

नितेश तिवारी की फिल्म “छिछोरे” छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। फिल्म मेकर्स ने फिल्म में महत्वपूर्ण मुद्दों और संदेशों को उठाया है जो सभी के लिए प्रासंगिक हैं।

तो चलिए, नितेश तिवारी की फिल्म छिछोरे से पांच महत्वपूर्ण संदेश पर नजर डालते हैं, जो हर किसी को सीखना चाहिए।

1) कोई भी लूजर नहीं है

कभी-कभी, हम अपनी लाइफ में, एग्जाम या रिश्तों में सफल नहीं होते हैं, और लोग हमें “असफल” कह सकते हैं। लेकिन हमें एक बात याद रखनी चाहिए की हमे कोई भी टैग देने वाला समाज को नहीं होता।

फिल्म में नितेश तिवारी हमें दिखाते हैं कि लाइफ में हमें कोशिश करते रहना और पॉजिटिव बने रहना बहुत ज़रूरी है। वह हमें सिखाते हैं कि अगर हम ऐसा करते रहेंगे, तो हम आखिरकार सफल होंगे और सबको दिखाएंगे कि कोई भी लूजर नहीं होता। अगर कुछ भी हो जाए या कोई घटना घट जाए, तो उस पर दुखी होने की जरूरत नहीं है। सब कुछ मुमकिन है, और अगर कोई शख्स सफल है, तो उसके पास जीवन में जो कुछ भी हुआ है उसे बदलने की क्षमता है।

2) अपने अंदर के बच्चे को जिंदा रखें

अपने अंदर के बच्चे का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है, तब भी जब ज़िंदगी काम और मुश्किल करियर से भरी हो। आपका अंदर का बच्चा आपको मुश्किल और अक्सर बदलने वाली दुनिया में मज़बूत बने रहने में मदद करता है। “छिछोरे” में नितेश तिवारी ने इसे दिखाने में बहुत बढ़िया काम किया है, और वह चाहते हैं कि हर कोई, खास तौर पर छात्र, अपने अंदर के बच्चे को ज़िंदा रखना याद रखें, चाहे कुछ भी हो जाए।

3) दोस्तों के साथ सच्चे बनें रहें

फिल्म में नितेश तिवारी ने हमें दिखाया कि परिवार के बाद दोस्त वाकई बहुत जरूरी होते हैं। हमें अपने दोस्तों के साथ रहना चाहिए चाहे कुछ भी हो जाए और उनके साथ ईमानदार रहना चाहिए क्योंकि वे बहुत कीमती हैं। अपने आस-पास ऐसे लोगों को रखें, जो आपको प्रोत्साहित आपका हौसला बढ़ाते हैं, आपकी मदद करते हैं और मुश्किल समय में भी आपके साथ खड़े रहते हैं।

4) सफर का मजा लें

जीवन एक यात्रा की तरह है, और नितेश तिवारी ने “छिछोरे” में इसे बखूबी दिखाया है। जीवन को उत्साह के साथ अपनाएं और जो कुछ भी करें उसमें अपना बेस्ट दें। सफलता और असफलता हमारी कोशिशों का सिर्फ एक छोटा परिणाम है, जो जीवन का एक हिस्सा है। उन्हें खुद पर हावी न होने दें। भले ही आप असफल हो जाएं, अगर आपने अपना बेस्ट किया है, तो आपको पछताने की कोई जरूरत नहीं है।

5) आत्महत्या समाधान नहीं है

फिल्म में नितेश तिवारी ने यह साफ किया है कि चाहे हम किसी भी चुनौती का सामना करें – चाहे वह असफलता हो, रिश्तों की समस्या हो या पेशेवर असफलता – आत्महत्या कभी भी समाधान नहीं है। जिन लोगों की आप परवाह करते हैं, उनसे बात करना जरूरी है। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, हमें कभी भी अपने जिंदगी को खत्म करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। जीवन मूल्यवान है, इसलिए अपने परिवार और दोस्तों के बारे में सोचें। अपनी मुश्किलों को खत्म करने के लिए कभी भी इतना बड़ा कदम न उठाएँ।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]