आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी के रूप में जाना जाता है। साइटिका की समस्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है। रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने से मनुष्य के शरीर में इस समस्या का जन्म होता है।इस बीमारी के होने का मुख्य कारण मनुष्य का ख़राब पाचन तंत्र होता है। आयुर्वेद कहता है कि दोषपूर्ण पाचन तंत्र शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण करता है।
इसलिए आयुर्वेद में साइटिका को जड़ से खत्म करने के लिए पहले पाचन शोधन की जड़ी-बूटी दी जाती है, जिससे शरीर में इकट्ठा जहरीले तत्व खत्म हों। उसके बाद पाचन के लिए इलाज में पाचन को सही करन की उपयोगी जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है, ताकि शरीर में सही पाचन बहाल हो करती हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति में किसी भी रोग दोष को खत्म करने के लिए शरीर को शुद्धिकरण प्रक्रियाओं से गुजारना पड़ता है।
आयुर्वेद में नर्वस सिस्टम को पोषण देने और शरीर की असंतुलित ऊर्जा को कम करने के लिए कुछ जड़ी बूटियां दी जाती हैं। इसके अलावा साइटिक को खत्म करने के लिए औषधीय तेलों के साथ-साथ पंचकर्म पद्धति से भी इलाज किया जाता है। साइटिका के लिए कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां यहां हम आपको बता रहे हैं, जिनके उपयोग से आपको साइटिका के दर्द में राहत मिल सकती है।
साइटिका का प्रभावी उपचार
पंचकर्म उपचार: इस पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रक्रिया में शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करने और दोष संतुलन को बहाल करने के लिए अभ्यंग (तेल मालिश), स्वेदन (हर्बल भाप चिकित्सा), और बस्ती (औषधीय एनीमा) जैसे विभिन्न उपचार को शामिल किया जाता है।
अश्वगंधा: आयुर्वेद में यह सूजन रोधी औषधि है जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने और तनाव कम करने में मदद करती है। इसलिए यह साइटिका के दर्द को कम करने में मददगार है।
गुग्गुलु: गुग्गुलु में सूजन-रोधी गुण होते हैं और इसका उपयोग अक्सर कटिस्नायुशूल से जुड़े दर्द और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।
दशमूल: यह 10 जड़ी-बूटियों का संयोजन है जिसमें सूजन-रोधी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। यह दर्द को प्रबंधित करने में उपयोगी है।
शल्लकी: शल्लकी में वात को संतुलित करने का गुण होता है और यह जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत देता है, शल्लकी एंटीसेप्टिक और कसैले गुणों से भरपूर है।
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