कोरबा I प्रसव के बाद नवजात समेत पहाड़ी कोरवा महिला को परिजन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई। लेमरू थाना अंतर्गत वनांचल क्षेत्र के चिरईझुंझ निवासी पहाड़ी कोरवा राजेश की पत्नी गर्भवती थी। बुधवार को घर पर ही उसका प्रसव हुआ। नवजात कमजोर नजर आ रहा था। ऐसे में परिजन ने जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए इमरजेंसी सेवा ली। डायल 112 की टीम मदद के लिए गई तो पहुंचविहीन गांव होने से आगे पैदल जाना पड़ा, जहां से डायल 112 की टीम ने किसी तरह कांवर में बैठाकर जच्चा-बच्चा को गांव से अपने वाहन तक लाया। वहां से परिजन के साथ मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया।
कोरबा जिले के दूरस्थ गॉव चिरईझुंझ से सम्बंधित इस मामले ने साफ कर दिया है कि बेहद पिछड़े क्षेत्र में सुविधा बढ़ाना जरूरी है। ऐसे इलाके में अशिक्षा और जानकारी का अभाव भी एक बड़ी चुनौती है। और इसकी बड़ी कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। कोरबा ब्लॉक के चिरईझुंझ निवासी पहाड़ी कौरवा राजेश की पत्नी का 17 अप्रैल को घर पर प्रसव हुआ। इससे पहले उसने एम्बुलेंस की प्रतीक्षा में कई घण्टे दर्द सहा। इसी बीच उष्का प्रसव हुआ। नवजात का वजन सामान्य से काफी कम था। इससे परिजन चिंतित थे।
राजेश ने बताया कि माजरा समझ मे आया तो देर हो चुकी थी। दूसरे दिन नवजात को कोरबा ले जाने एम्बुलेंस की जरूरत महसूस की गई, लेकिन वह नही मिली। तब 112 की टीम ने डेढ़ किमी पदयात्रा कर कांवर से प्रसूता और नवजात को गाड़ी तक लाया और कोरबा के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल मैं भर्ती कराया ।
नवजात को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद परिवार को यही लग रहा था कि मामला ठीक है, लेकिन ऐसा नही था। कुछ घण्टे बाद उसकी सांसे टूट गई। डॉ रविकांत जातवार ने बताया कि पीड़ित परिवार की जिस स्तर पर सहायता हो सकेगी, की जाएगी। खबर के अनुसार कोरबा के हॉस्पिटल में भी महिला को काफी बुरे अनुभव झेलने पड़े। इस प्रकरण के बाद पहाड़ी कोरवा दंपत्ति के पास सिर्फ और सिर्फ यही विकल्प है कि वह टूटी उम्मीद के साथ अपने घर को लौटे। लेकिन उसे भविष्य के लिए जानकारी भी बढ़ानी होगी और समझ का दायरा भी।