कोरबा, ,19 अप्रैल 2024। लगातार गर्मी के वैवाहिक मुहूर्तों में हो रही शादियां एवं 10 मई को अक्षय तृतीया के उत्तम वैवाहिक मुहुर्त में होने वाली शादियों पर जिला प्रशासन ,महिला एवं बाल विकास विभाग की नजर है । इस दिन बाल विवाह जैसे सामाजिक कुप्रथा एवं कानूनन अपराध पर कड़ाई से रोक लगाने जिला प्रशासन ,महिला एवं बाल विकास विभाग ने
वैवाहिक अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले धार्मिक सेवा प्रदाता टेंट हाउस, कैटरिंग ,डीजे बैंड बाजा, प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को आगाह किया है कि, बिना आयु प्रमाण पत्र का परीक्षण किए वैवाहिक कार्यक्रम में सेवाएं प्रदान न करें। इसकी अनदेखी कर संबंधितों को बाल विवाह में सहभागी मानते हुए नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन के उक्त निर्देश के बाद वैवाहिक कार्यक्रमों के सेवा प्रदाता इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित कर रहे।
अबूझ वैवाहिक मुहूर्त अक्षय तृतीया में वृहद स्तर पर शादियां होती है।इस आड़ में आज भी अशिक्षा के अभाव में कई परिवार बाल विवाह करा देते हैं। जो न केवल सामाजिक कुप्रथा है क़ानूनन अपराध है।
इस पर्व पर बाल विवाह की घटनाओं की समय पर रोकथाम हेतु शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप रोक लगाया जाना है। बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा के साथ ही साथ कानूनन अपराध है। 18 वर्ष के पूर्व लडकी तथा 21 वर्ष के पूर्व लड़के का विवाह करना बाल विवाह की श्रेणी में आता है।ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत से जनजाति व विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डों, बिरहोर, पहाडी कोरवा आदि निवास करते है। शिक्षा के अभाव में बाल विवाह के दुष्परिणाम यथा कुपोषण, कम वजन के शिशु पैदा होने, महिलाओं में एनीमिया आदि की शिकार होने की संभावना होती है। बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण हेतु प्रत्येक ग्रामों में ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति गठित है। जिसके सरपंच अध्यक्ष तथा ग्राम सचिव (सदस्य सचिव), आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन व अन्य गणमान्य नागरिक, जन प्रतिनिधि आदि सदस्य है। उक्त समिति के सदस्यों व गणमान्य नागरिकों द्वारा रामनवमी तथा अक्षय तृतीया या अन्य अवसरों पर होने वाले बाल विवाह को प्रभावी तरीके से समय पर रोकथाम व बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सकता है। साथ ही जिले में बाल विवाह कराये जाने की सूचना प्राप्त हो तो उसकी सूचना अविलंब पर्यवेक्षक, बाल विकास परियोजना अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, थाना प्रभारी/चौकी प्रभारी, 112 आपातकालीन नम्बर अथवा चाइल्ड हेल्प लाईन नम्बर 1098 पर सूचना दी जा सकती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ रेनू प्रकाश ने गणमान्य नागरिकों, समाज प्रमुखों, धार्मिक व वैवाहिक अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले धार्मिक सेवा प्रदाता टेंट हाउस, डीजे बैंड बाजा, प्रिंटिंग प्रेस संचालकों तथा जन प्रतिनिधियों से अपील की गई है कि, बिना आयु प्रमाण पत्र के वैवाहिक कार्यक्रम में सेवाएं प्रदान न करें। बाल विवाह पर प्रभावी रोक के लिए सभी अपना सहयोग प्रदान करें, जिससे जिले में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त किया जा सके और जिले में बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।
एक माह के भीतर रोके दो बाल विवाह
गौरतलब हो जिले में एक माह के भीतर महिला एवं बाल विकास विभाग ,पुलिस एवं चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीम ने पोंडी उपरोड़ा एवं चोटिया परियोजना में दो बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की है। बालिकाओं को बालिका वधु बनने से बचाया है। कलेक्टर अजीत वसंत ,डीपीओ रेनू प्रकाश के नेतृत्व में इस दिशा में सभी विभाग समन्वय के साथ संयुक्त रूप से सजग रहकर कार्य दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।
बाल विवाह पर 2 साल की जेल का है प्रावधान
देश में बाल विवाह रोकने कड़े कानून बनाए गए हैं । पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी करने व करवाने वालों पर 2 साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है। यहाँ तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित ,पादरी व अन्य लोगों पर भी इतनी ही कठोर दंड का प्रावधान है । शासन -जिला प्रशासन के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग हमेशा उक्त अधिनियम के सम्बन्ध में लोगों में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्य करती रहती है।
बाल विवाह के रोकथाम में करें सहयोग
वैवाहिक अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले धार्मिक सेवा प्रदाता टेंट हाउस, डीजे बैंड बाजा, प्रिंटिंग प्रेस संचालकों तथा जन प्रतिनिधियों से अपील की गई है कि, बिना आयु प्रमाण पत्र के वैवाहिक कार्यक्रम में सेवाएं प्रदान न करें। बाल विवाह पर प्रभावी रोक के लिए सभी अपना सहयोग प्रदान करें, जिससे जिले में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त किया जा सके और जिले में बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।
रेनू प्रकाश ,डीपीओ,मबावि
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