।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
कामदा एकादशी
एकादशी तिथि प्रारंभ 18 अप्रैल 2024 गुरुवार को शाम 05 बजकर 32 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 19 अप्रैल 2024 शुक्रवार को रात्रि 8 बजकर 05 मिनट पर
कामदा एकादशी व्रत तिथि- 19 अप्रैल 2024 शुक्रवार
कामदा एकादशी व्रत पारण का समय- 20 अप्रैल 2024 शुक्रवार को प्रात: 05 बजकर 50 मिनट से प्रात: 08 बजकर 26 मिनट के मध्य।
कामदा एकादशी का महत्त्व
पद्म पुराण और अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या और अनजाने में किए हुए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी पिशाचत्व आदि दोषों का भी नाश करने वाली है। कामदा एकादशी के व्रत करने से और कथा सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य मिलता है। इस एकादशी का व्रत करने से सभी दोषों का निवारण होता है और भक्तों की सभी कामनाएं पूरी होती हैं।
।।कामदा एकादशी व्रत कथा।।
प्राचीनकाल में पुंडरीक नाम का राजा था, जो भोग-विलास में डूबा रहता था। उसके राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष बहुत प्रेम से रहा करते थे। एक दिन राजा की सभा में ललित गीत गा रहा था लेकिन तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी पर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया। यह देखकर राजा पुंडरीक बहुत क्रोधित हुआ और उसने क्रोध में आकर ललित को राक्षस बनने का शाप दे दिया। ललित मांस का भक्षण करने वाला राक्षस बन गया। अपने पति का हाल देखकर राजा की पत्नी बहुत दुखी हुई।अपने पति को ठीक करने के लिए ललिता ने कई लोगों से पूछती हुई आखिरकार ललिता विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गई। वहां जाकर उसने अपने पति का पूरा हाल कह सुनाया। ऋषि ने ललिता को मनोकामना पूरी करने वाला व्रत कामदा एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा। साथ ही ऋषि ने कहा कि अगर वे कामदा एकादशी का व्रत रखती है, तो उसके पुण्य से उसका पति ललित फिर से मनुष्य योनि में आ जाएगा। ललिता ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान के साथ कामदा एकादशी का व्रत किया। ऋषि के बताए अनुसार उसने चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत किया और अगले दिन द्वादशी को पारण करके व्रत को पूरा किया। इस तरह व्रत पूरा होने पर भगवान विष्णु ने ललिता के पति को फिर से मनुष्य योनि में भेजकर राक्षस योनि से मुक्त कर दिया। इस प्रकार दोनों का जीवन कष्टों से मुक्त हो गया और अंत में दोनों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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