Chaitra Navratri 2024 : नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, ऐसे करें आरती और मंत्र जाप…

Navratri 6th Day : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से शुरू हो गई थी और कल नवरात्रि का छठवां दिन है, नवरात्रि का यह दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. माना जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है. साथ ही यह भी मान्यता है कि जो भीे कुवारी कन्या मां कात्यायनी की पूरी श्रद्धा भाव के साथ विधिवत पूजा अर्चना करती है उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.

मां कात्यायनी का स्वरुप


पुराणों में मां कात्यायनी के स्वरुप का वर्णन मिलता है. ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा का यह स्वरुप अत्यन्त ही दिव्य हैं. मां कात्यायनी का वाहन सिंह होता है और उनके हाथों में तलवार और कमल फूल होते हैं. इनका रंग सोने के समान चमकीला है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति डर और भय से मुक्त हो जाता है.

पूजा विधि


नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें. इसके बाद कलश की पूजा करने के बाद हाथ में पुष्प लेकर मां दुर्गा और मां कात्यायनी की ध्यान कर पुष्प मां के चरणों में अर्पित करें. इसके बाद माता को अक्षत, कुमकुम, पुष्प और सोलह श्रृंगार अर्पित करें. उसके बाद मां कात्यायनी को उनका प्रिय भोग शहद, मिठाई अर्पित करें. मां को जल अर्पित कर दुर्गा चलिसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.

मां कात्यायनी के मंत्र जाप


पहला मंत्र

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

दूसरा मंत्र

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,

नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

तीसरा मंत्र

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र


वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

मां कात्यायनी की आरती


जय जय अम्बे जय कात्यायनी।

जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥