-सुनील दास
बस्तर में नक्सलवाद गंभीर समस्या है। कई सरकारे आई और गईं लेकिन नक्सलवाद को समाप्त नहीं किया जा सका है। हर सरकार ने यह दाव जरूर किया है कि उसके समय में नक्सलवाद के खिलाफ गंभीरता से लड़ाई गई है, उनके आतंक से प्रभावित गांवों का आतंक से मुक्त कराया गया है। कई सरकारों की कार्रवाई के बाद आज सफलता यह है कि नक्सल प्रभावित गांवों की संख्या कम हुई है। नक्सलियों की गतिविधियों का दायरा कम हुआ है। वह अब पहले की तरह बेखौफ अपनी गतिविधियां नहीं चला पा रहे हैं। कहीं भी कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।
कांग्रेस से समय जो कैंप खोले गए उसका प्रभाव यह हुआ कि जनता में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा कि सरकार हमारी सुरक्षा के लिए गंभीर है। इसलिए पहले जिस तरह कहीं कैंप खोले जाने का विरोध होता था वैसा विरोध अब बस्तर में नहीं होता है क्योंकि अब बहुत सारे गांव नक्सल प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं।जब गांवों में नक्सल प्रभाव ज्यादा था तो ग्रामीणों को वही करना पड़ता था जो नक्सली चाहते थे, वह कैंप खोलने का विरोध करने को कहते थे तो ग्रामीणों को विरोध करना पड़ता था।
राज्य में साय की सरकार बनने के बाद निश्चित रूप से नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई तेज हुई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कैप ज्यादा खोले जा रहे हैं ताकि पूरे बस्तर को नक्सलियों के आतंक से मुक्त कराया जा सके।अमित शाह ने अपने छग प्रवास के दौरान कहा था कि अगल कुछ सालों में छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों को नक्सलमुक्त करा लिया जाएगा। उनके कहे अनुसार छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त कराने के लिए नक्सलियों के जल्द से जल्द सफाए की जरूरत है।
सरकार ने जवानों को खुली छूट दे दी है कि जिस तरह भी नक्सलियों का सफाया हो सकता है किया जाए। साथ ही नक्सलियों से भी कहा गया है कि वह यदि मुख्यधारा में आना चाहते हैं तो सरकार उनके लिए जो भी जरूरी है, वह करेगी। यानी साय सरकार नक्सलियों का सफाया बंदूक से हो सकता है तो बंंदूक से करने तथा शांति से हो सकता है तो शांति से करने को तैयार हैंं। साय सरकार नक्सलियों के सफाए को लेकर गंभीर है इसलिए नक्सलियों के सफाए के लिए तैनात जवानों को भी अब बड़ी सफलता मिल रही है।
हाल में जवानों ने पहली बार घेरकर एक दिन में 13 नक्सलियों को मार गिराया गया था।इससे पहले एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 8 नक्सली मारे गए थे। 13 नक्सलियों का सफाया कोई छोटी बात नहीं है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में नक्सली पहली बार मारे गए है, इसके कुछ दिन बाद ही फिर २५ लाख के ईऩामी नक्सली सहित तीन नक्सली मार गिराए गए। इससे साफ हो जाता है कि नक्सलियों के सफाए का काम राज्य में साय सरकार आने के बाद तेज हो गया है। इससे नक्सलियों में हमारे सुरक्षा बलों को डर बढ़ेगा कि वह भी हमें बड़ी संख्या में मार सकते हैं।
अब तक होता यह था कि हमेशा नक्सली ही हमारे सुरक्षा बलों के जवानों को कहीं भी,कभी भी घेर बड़ी संख्या में मार गिराते थे। अब साय सरकार बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को घेर कर मारा है। इसका बड़ा असर तो इस बार लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा ।
इस बार नक्सली पहले की तरह चुनाव काे प्रभावित नहीं कर पाएंगे और हो सकता है कि इस बार बस्तर में चुनाव का मतदान प्रतिशत पिछली बार से ज्यादा हो। बड़ी संख्या मे लोग इस बार निर्भीक हो कर मतदान करें। अब तक बस्तर के चुनाव में नक्सली प्रभावी रहते थे, इस बार हो सकता हैं क् चुनाव नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त हो। ऐसा होता है तो यह साय सरकार की बड़ी उपलब्धि होगी। सरकार से उम्मीद की जाएगी कि वह बस्तर को जल्द से जल्द नक्सलमुक्त करा लेगी ।
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