बिलासपुर। इस नवरात्र मां महामाया मंदिर में भक्तों को माहुल पत्ते से बने दोने व पत्तल में प्रसाद वितरण किया जाएगा। दोनों व पत्तलों को अलग-अलग जगहों के महिला स्वसहायता समूह ने खास तौर पर तैयार किया है। इनका स्टाक मंदिर समिति को सप्लाई भी कर दी गई है।
दोना व पत्तल में भोग वितरण अच्छा होता है। इसी के तहत वन मंडल के संजीवनी मार्ट की ओर से महामाया मंदिर ट्रस्ट के जिम्मेदार पदाधिकारियों से चर्चा की गई। उन्हें बताया गया कि जंगल में माहुल पत्ते का संग्रहण व इसके बाद दोना-पत्तल बनाने का कार्य महिला समूह करते हैं। इससे उन्हें रोजगार भी मिलता है। इसकी डिमांड छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों में हैं। मंदिर ट्रस्ट ने उनके इस प्रस्ताव को सहजता से स्वीकार कर खरीदने की हामी भी भर दी। कुछ ही दिन में नवरात्र प्रारंभ हो जाएगा। मंदिर समिति की ओर से नवरात्र के पूरे नौ दिन भक्तों के लिए भंडरा लगता है। दोना-पत्तल में प्रसाद वितरण से भक्तों को भी अच्छा लगेगा। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी समिति की यह पहल होगी। दोना-पत्तल आसानी से नष्ट हो जाते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचता।
30 हजार दोना और 25 हजार पत्तल की सप्लाई
बिलासपुर वनमंडल कार्यालय परिसर स्थित संजीवनी मार्ट से महामाया मंदिर ट्रस्ट को 30 हजार दोना और 25 हजार पत्तल की सप्लाई की गई है। चूंकि समिति ने थोक में इसे खरीदा है। इसलिए कीमत भी न्यूनतम रखी गई है। संजीवनी मार्ट के अनुसार एक बंडल पत्तल 55 रुपये और 15 रुपये बंडल में दोनों को दिया गया है। जंगल के अंदर से संग्रहित माहुल पत्ते से तैयार दोना व पत्तल खरीदकर समिति ने महिलाओं को प्रोत्साहित भी किया है। इससे समूह को राजस्व लाभ होगा। वन विभाग का उन्हें रोजगार देने का उद्देश्य भी इससे पूरा होगा।
संजीवनी मार्ट से भी होती है बिक्री
माहुल पत्ते से बने दोना व पत्तल की खरीदारी आम नागरिक भी कर सकते हैं। संजीवनी मार्ट में बिक्री के लिए हमेशा स्टाक उपलब्ध रहता है। मालूम हो कि इस मार्ट का संचालन भी समूह के माध्यम से किया जा रहा है। संजीवनी में दोना-पत्तल के अलावा शहद व जंगल की जड़ी-बूटियों से तैयार औषधियों की बिक्री होती है। साथ ही जामुन, आंवला व अन्य स्वास्थ्यवर्धक जूस और आचार भी बिकते हैं। उनकी अच्छी खासी डिमांड है।
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