रायपुर। प्रदेश की राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाले एनसीपी नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड में हाईकोर्ट का फैसला आ गया. हाईकोर्ट ने जग्गी हत्याकांड के आरोपियों की अपील खारिज करते हुए 28 आरोपियों की उम्र कैद की सजा बरकरार रखा है.
हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में दो तत्कालीन सीएसपी और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह शामिल हैं.
4 जून 2003 को एनसीपी नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे, जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे. और एक अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा गई थी, जिसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट के दोषियों की अपील को खारिज किए जाने के बाद रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर भरोसा था. सभी अभियुक्तों को सजा सुनाई गई. हमारा परिवार शुरू से कहता रहा कि यह राजनीतिक षड़यंत्र था.
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