कोरबा,24 मार्च। होलिका दहन 24 मार्च, रविवार को होगा। इस पर्व को लेकर जहां हर समाज में उत्साह व उल्लास का माहौल रहता है, वहीं इस त्योहार को मनाने को लेकर समाज मंे अलग-अलग परंपरा चली आ रही है। इसमें मारवाड़ी समाज में होलिका पूजन व दहन की अपनी अलग ही परंपरा पीढ़ियों से है।इस समाज के लोग पूरे परिवार के साथ होलिका पूजन व दहन में शामिल होते हैं। अग्रवाल समाज की बयोवृद्ध व टीपीनगर निवासी तरबेनी बाई अग्रवाल (93) ने बताया कि एक माह पहले से ही तैयारी की जाती है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि अग्नि में तपने के बाद कोई भी वस्तु शुद्ध हो जाती है। होलिका दहन में अर्पित किए जाने वाले गोबर के कंडे से बने बड़हुला (माला), दाल, नारियल, गेहूं की बाकी, हरा चना की फसल चढ़ाई जाती है। सुबह पूरा परिवार पूजा कर शाम को होलिका दहन में शामिल होता है। होलिका दहन के पश्चात राख को अपने अपने घर ले जाने की परंपरा है।
क्योंकि इस राख को हर मारवाड़ी अपने अपने में छिड़कता है, ताकि घर के अंदर की बुराईयां व अशुद्धियां दूर हो जाएं। यह कोई एक दो दिन की बात नहीं होती है, होलिका से लाई गई राख का उपयोग लोग अपने घर व प्रतिष्ठान में साफ सफाई के दौरान रोजाना करते हैं। यह पीढ़ियों से चली आ रही है परंपरा आज भी समाज के लोग निभा रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार मारवाड़ी समाज में सुबह होने वाली होलिका पूजन का मुहूर्त सुबह 8 बजे से 9.47 बचे तक का है। इसलिए इस समय होलिका स्थल पर पहुंचकर पूजा करने के साथ ही उन्हें घर वापस लौटना होगा। इस पूजा में शामिल होने वाली महिलाएं व्रत रखती हैं और शाम को दहन के बाद घर लौटकर व्रत तोड़ती हैं। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त देर रात 11:13 बजे से लेकर 12:27 मिनट तक रहेगा।
होलिका का मुहूर्त सुबह 9.47 बजे से
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