Bilaspur News :नागलोक तपकरा में लीजिए जंगल सफारी का मजा

बिलासपुर,22 मार्च । अगर आप जंगल सफारी के शौकीन हैं तो जशपुर जिले के फरसाबहार ब्लाक में स्थित तपकरा वन परिक्षेत्र आपका पसंदीदा पर्यटन क्षेत्र हो सकता है। झारखंड और ओडिशा की अंरराज्यीय सीमा पर स्थित तपकरा वन परिक्षेत्र चहुंओर घने वनों से घिरा हुआ है। तपकरा को छत्तीसगढ़ में नागलोक के नाम से जाना पहचाना जाता है। अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां बहुतायत मात्रा में नाग व करैत जैसे अत्यंत विषैले सांप बहुतायत से पाए जाते हैं। इस क्षेत्र को नागलोक के नाम से पहचाने जाने का एक और कारण इस क्षेत्र में स्थित कोतेबिरा शिवधाम भी है। मान्यता है कि पुरातन काल में यहां देवतागण वास करते थे और घने जंगल से होकर गुजरने वाले राहगीरों की सेवा सोना और चांदी के बर्तनों में किया करते थे।

कालांतर में कुछ लोगों द्वारा इसे लूटने का प्रयास किये जाने पर नाराज होकर देवता नाग रूप धारण कर पाताल लोक चले गए। कोतेबिरा में स्थित कपाट द्वार को पाताल लोक का प्रवेश द्वार माना जाता है। इस धार्मिक पर्यटन स्थल के अलावा पर्यटक चारों ओर स्थित घने जंगल में विचरते हुए हाथियों के झुंड, कुलांचे भरते हुए हिरण को देखने का रोमांचक अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। ईब नदी की कलकल बहती अविरल धारा के किनारे बैठकर सुकून भरे पल गुजारना पर्यटकों को खूब भाता है। यहीं कारण है कि यहां छत्तीसगढ़ के साथ ओडिशा और झारखंड के पर्यटक खिंचे चले आते हैं।

निकटवर्ती पर्यटन स्थल

रानीदाह जलप्रपात- यहां से लगभग 90 किलोमीटर दूर झारखंड की सीमा पर स्थित प्राकृतिक पर्यटन स्थल में पहाड़ों को चीरकर गिरता हुआ झरना और कलकल करती हुई हुई नदी पर्यटकों को घंटों रुके रहने के लिए विवश कर देती है।

सोगड़ा आश्रम- 20 किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक पर्यटन स्थल में पर्यटक चाय बागान के साथ अघोरेश्वर भगवान राम के महाविभूति स्थल, तप स्थल के साथ मां काली का दर्शन लाभ ले सकते हैं।

गुल्लू फाल- लगभग 140 किलोमीटर दूर इस प्राकृतिक पर्यटन स्थल पर विशाल प्राकृतिक झरने के साथ हाइड्रो इलेक्ट्रिक सेंटर में पानी से बिजली बनते हुए देखना पर्यटकों के लिए रोमांचकारी अनुभव होता है।

यह भी पढ़े : Raipur News: पति से विवाद के बाद पत्‍नी ने लगाई फांसी, मौके पर पहुंची डायल 112 की पुलिस ने बचाई महिला की जान

पहाड़ी कोरवाओं की जीवनशैली- मनोरा और बगीचा ब्लाक में देश के विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा की विशिष्ट जीवनशैली, उनके मिट्टी से बने घर पर्यटकों को अचंभित करते हैं।

बादलखोल अभयारण्य- लगभग 50 किलोमीटर दूर बादलखोल अभयारण्य के घने जंगलों में चीतल, भालू, हाथी, मोर, हिरण जैसे वन्य जीवों को देखना पर्यटकों को रोमांचकारी अनुभव देता है।

ऐसे पहुंचें तपकरा

तपकरा पहुंचने के लिए सड़क एकमात्र साधन है। यहां से नजदीकी रेल स्टेशन ओडिशा का झारसुगड़ा 75 किलोमीटर, झारखंड की राजधानी रांची 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं नजदीकी हवाई अड्डा भी रांची और झारसुगड़ा ही हैं। रांची से तपकरा सड़क मार्ग से पहुंचने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है। पर्यटकों के रुकने के लिए सरकारी विश्राम गृह और एक होटल की सुविधा है। इसके अलावा जिला मुख्यालय जशपुर में पर्यटन विभाग द्वारा संचालित सरना एथनिक रिसार्ट की सुविधा भी उपलब्ध है। रिसार्ट में कमरे की बुकिंग पर्यटन विभाग की वेबसाइट से आनलाइन की जा सकती है।