बिलासपुर , 17 मार्च । महिला-बाल विकास विभाग के उच्चाधिकारी ने कार्य में कमी बताकर 8 संविदा कर्मचारियों को करीब 16 महीने पहले बर्खास्त कर दिया। इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की बेंच ने मामले में फैसला देते हुए सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त कर दिया और सभी कर्मियों को बहाल करने का आदेश दिया।
बर्खास्त कर्मचारी व याचिकाकर्ता आश्विन जायसवाल, ज्योति शर्मा, माहेश्वरी दुबे, अल्केश्वरी सोनी, हेमलाल नायक रजनीश गेंदले, अखिलेश डाहिरे और दुष्यंत निर्मलकर ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी व घनश्याम कश्यप के द्वारा रिट याचिका दायर की थी। इसमें बताया कि उनकी नियुक्ति महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर में जिला विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी व अन्य पदों पर वर्ष 2014 से 2016 तक के लिए हुई थी। याचिकाकर्ता की सेवाओं को समय-समय पर कार्य प्रदर्शन और गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर बढ़ाया गया था।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में याचिकाकर्ता के कार्य प्रदर्शन गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने याचिकाकर्ता की सेवाओं को वित्तीय वर्ष 2022-23 में जारी रखा गया। इसी बीच अचानक जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, रायपुर ने 19 अक्टूबर 2022 को गोपनीय रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होना बताकर 31 अक्टूबर 2022 को सेवा समाप्त कर दी। वहीं 3 नवंबर 2022 को याचिकाकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर 5 दिनों में जवाब नहीं देने पर 30 नंवबर 2022 को स्वत: सेवा समाप्त होने की बात कही गई। आदेश के खिलाफ सभी कर्मचारियों ने याचिका दायर कर दी। कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद सभी को 17 नवंबर 2022 को बर्खास्त कर दिया गया था।
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