छत्तीसगढ़ के भिलाई में दृश्यम मूवी की तरह हुए अभिषेक मिश्रा हत्याकांड के दो आरोपियों को हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। जिला कोर्ट ने केस के दो आरोपियों विकास जैन और सुजीत सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। जबकि, एक अन्य आरोपी और विकास जैन की पत्नी किम्सी जैन को दोषमुक्त कर दिया था। दो आरोपियों ने जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसकी सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अब फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने माना कि यह परिस्थितिजन्य केस है और आरोपियों के खिलाफ अपराध से जुड़ी परिस्थितियां प्रमाणित नहीं हुई हैं।
दरअसल, 23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने दुर्ग के स्मृति नगर निवासी अजीत सिंह के मकान स्थित परिसर में अभिषेक का शव बरामद हुआ था। जिस जगह लाश मिली वहां गोभी समेत दूसरी सब्जियां उगाई गई थी। ये सब्जियां हॉस्टल के बच्चों को खिलाई जाती थी।
दृश्यम मूवी की तरह हुई थी अभिषेक मिश्रा की हत्या।
विकास जैन और सुजीत सिंह को हत्या के लिए दोषी पाया गया था
जिला कोर्ट ने ट्रायल और सभी पक्षों की सुनवाई के बाद 10 मई 2021 को फैसला दिया था, जिसमें केस के दो आरोपियों विकास जैन और सुजीत सिंह को हत्या के लिए दोषी पाया गया था। खास बात ये है कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान विकास जैन ने खुद पैरवी कर कोर्ट के सामने सभी तथ्य रखे।
‘पुलिस ने बिना सबूत के हत्याकांड की कहानी लिख दी’
अपील में बताया गया कि यह पूरा मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर टिका हुआ था। इसके बाद भी पुलिस ने बिना सबूत के हत्याकांड की कहानी लिख दी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने जांच के दौरान हत्या का मामला दर्ज किया, लेकिन न तो इस केस में कोई गवाह है और न ही साक्ष्य। जिस दिन हत्या और लाश को दफनाने की बात कही जा रही है। साल 2015 में उस दिन धनतेरस थी और बाजार के साथ पूरे क्षेत्र में काफी भीड़-भाड़ थी।
3 किमी के दायरे में शव दफनाया फिर भी किसी ने नहीं देखा
केस में पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कोर्ट को बताया गया कि अभिषेक मिश्रा को किम्सी ने चौहान टाउन स्थित घर पर 9 नवंबर 2015 को बुलाया। घर पहुंचने के बाद किम्सी और अभिषेक के बीच विवाद हुआ। वहां पहले से मौजूद विकास और अजीत ने अभिषेक के सिर पर पीछे से राड से वार किया, जिससे वह कमरे में गिर गया।
इसके बाद अभिषेक को किम्सी का चाचा अजीत सिंह स्मृति नगर में अपने किराए के मकान में ले गया और पहले से किए गए छह फीट गहरे गड्ढे में दफना दिया। कोर्ट को बताया गया कि चौहान टाउन स्थित घर और स्मृति नगर भिलाई की दूरी तीन किलोमीटर से ज्यादा है। इसके बाद भी पूरे केस में कोई चश्मदीद नहीं मिला।
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