Maha Shivratri 2024 : जहां प्रकृति के बीच लोगों काे आकर्षित करता कैलासवासी भोलेनाथ

जबलपुर I पर्यटन व धर्मिक क्षत्रों की दृष्टि से संपन्‍न जबलपुर में शिव मंदिरों की अधिकता है। गुप्तेश्वर, कचनार सिटी, दमोह के बांदकपुर, रांझी के मानेगांव का कैलाशधाम, मझौली का कटाव, डिंडौरी के कुकर्रामठ मंदिर के शिव मंदिर प्रमुख हैं। इन शिवालयों के अलावा आसापास क्षेत्र के मंदिरों में भी शिवरात्रि के अवसर पर विशेष अनुष्‍ठान आयोजित किए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मेला भी लगता है जो लोगों काे आकर्षित करता है। मेले में सुदूर गांवों के साथ-साथ शहर के लोग भी पहुंचे हैं। जानें अपने क्षेत्र के शिवालय।

गुप्तेश्वर जहां भोलेनाथ करते थे गुप्त तपस्या


गुप्तेश्वर शिव मंदिर शहर की दक्षिण की ओर स्थित है। आप नाम से ही समझा सकते हैं कि हैं यहां पर है ‘ईश्वर का गुप्त वास’। कहते हैं यहां शिव स्‍वयं प्रकट हुए थे। इस मंदिर में भगवान शिव एक गुफा में विराजमान हैं। भगवान शिव यहां पर गुप्त रूप में तपस्या करते थे, कुछ लोग कहते हैं कि ऋषि जाबाली ने इसी गुफा में भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था।

जबलपुर की शान कचनार सिटी मंदिर


जबलपुर शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां पर शिव भगवान की आपको बहुत ही सुंदर प्रतिमा देखने मिलती है। यह प्रतिमा 76 फीट ऊंची है, इस प्रतिमा के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कचनार सिटी मंदिर में बहुत ही खूबसूरत गार्डन के बीच में शिव भगवान के आतिरिक्त और भी प्रतिमाएं विराजमान हैं। यहां पर 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना भी की गई है। शिव भगवान की विशाल प्रतिमा के सामने नंदी भगवान की सफेद पत्थर की प्रतिमा भी स्थित है।

बांदकपुर का श्री जागेश्वर धाम


श्री जागेश्वर धाम बांदकपुर या बांदकपुर का शिव मंदिर दमोह के पास स्थित है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। शिव मंदिर में बहुत बड़ा शिवलिंग है और पार्वती जी के मंदिर में गौरी जी की भव्य मूर्ति है। पास में ही प्राचीन बावली भी है। बांदकपुर मंदिर परिसर में ही लक्ष्मी जी, लक्ष्मी नारायण जी, गणेश जी, हनुमान जी व अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर हैं।

रांझी के मानेगांव का कैलाशधाम


संस्कारधानी जबलपुर में रांझी के निकट मानेगांव में कैलाशधाम शिव मंदिर हैं। मंदिर में सफेद प्राचीन शिवलिंग हैं। किदवंती है कि यहां चरवाहे ही आते थे। जब वे यहां दर्शन करने के लिए आए थे। इसकी महिमा पहले भी ग्रामीणों से सुनते आए थे। सफेद शिवलिंग होने के कारण ही पहाड़ी को कैलाश धाम नाम दे दिया गया। इस पिंडी की विशेषता यह है कि इनके दर्शन करने से मन को विशेष शांति मिलती है। मनोकामनापूर्ति भी पूरी करते है कैलासवासी शिव।

मझौली का कटाव का शिव मंदिर


यह मंदिर जबलपुर के मझौली में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पुल बनाया गया है। यहाँ प्रकृति के बहुत ही सुंदर दृश्य दिखते हैं। बरसात के मौसम यह स्थान चारों तरफ हरियाली से भरा रहता हैं। दमोह-जबलपुर हाईवे से गुबरा गांव पहुंचकर कटाव के लिए रास्‍ता है। दूर से ही सुंदर घाटियां दिखने लगती हैं। यहां खतरनाक मोड़ों पर वाहन की गति धीमी रखी पड़ती है। क्योंकि घाटी क्षेत्र होने के कारण सड़क कई जगहों पर घुमावदार है। धार्मिक प्रवृत्ति के पर्यटकों को यहां कटाव घाट आश्रम में साधु-संतों के दर्शन मिलते हैं। मंदिर भी सुंदर हैं।

मंदिर में दर्शन मात्र से मिलती है ऋण से मुक्ति


डिंडौरी के कुकर्रामठ मंदिर को ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर कुकर्रामठ गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा-पाठ और दर्शन से पितृ-ऋण, देव-ऋण और गुरु-ऋण से मुक्ति मिलती है। आस-पास के लोग और अधिकांश नर्मदा परिक्रमा वासी मंदिर के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 10वीं-11वीं ईसवी के आस-पास माना जाता है। एक मान्यतानुसार यह मंदिर कल्चुरी कालीन है , यहां छह मंदिरों का समूह था,लेकिन मौसम और समय के प्रतिकूल प्रभावों से सभी खंडहर हो गए। मंदिर एक विशाल चबूतरे पर बना है। मंदिर के गर्भ गृह में विशाल शिवलिंग विराजमान है।