सीहोर । जिले का चिंतामन गणेंश मंदिर और सलकनपुर धाम, आस्था के बड़े केन्द्र के रूप में देश दुनियॉं में प्रसिद्ध हैं । इन दोनों प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के साथ ही अब देवबड़ला भी धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा है । यहॉं आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है । यह नेवज नदी के उदगम स्थल और घने जंगलों में होने के कारण यहॉ का प्राकृतिक वातावण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा हैं ।
देवबड़ला जिले की जावर तहसील के ग्राम बीलपान के घने जंगलों की बीच विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है । देवबड़ला का मालवी में अर्थ है जंगल, अर्थात घने जंगलों में देवों की भूमि । पुरात्व की दृष्टि से यह क्षेत्र अमूल्य धरोहर है । देवबडला में खुदाई के दौरान 11-12वीं शताब्दी के परमार कालीन शिव मंदिर और अन्य मंदिर मिले हैं । खुदाई में शिव मंदिर के साथ ही 20 से अधिक प्रतिमाएं भी मिली हैं । इनमें मूर्तियों में ब्रमदेव, विष्णु, गौरी, भैरव, नरवराह, लक्ष्मी, योगिनी, जलधारी, नंदी, और नटराज की प्रतिमाएं शामिल हैं । इस अमूल्य धरोहर को सहेजने का कार्य किया जा रहा है ।
पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 2015 में यहॉ खुदाई शरू की गई । मई 2016 में शिव मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया । मंदिर 51 फीट ऊंचा है और इस मंदिर का कार्य पूर्ण हो चुका है । दूसरे मंदिर का निर्माण अभी चल रहा है । इन मंदिरों को मूल स्वरूप देने के लिए मंदिर के अवशेषों को जोड़ने में चूना, गुड़, गांद, उड़द, मसूर, जैसे प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग किया गया है । यहॉं के मंदिर आक्रमण अथवा प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट हुए हैं ।
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