कोरबा,03 मार्च (वेदांत समाचार)। भारतीय जनता पार्टी ने आंकलन के अनुसार मार्च के पहले ही सप्ताह लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित कर दी है। कोरबा लोकसभा भी इसमें शामिल है जहां कांग्रेस की श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत मौजूदा सांसद हैं। कांग्रेस का विजय रथ रोकने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व राज्यसभा सांसद व कोरबा की कार्यपालक सांसद रहीं सरोज पाण्डेय को कोरबा से टिकट दे दी है।सरोज पाण्डेय को टिकट देने के बाद से जिले का भाजपाई खेमा सन्न है। कहीं खुशी-कहीं गम के हालात बने हुए हैं। खुशी उनमें है जो ये चाहते थे कि उसके अलावा दूसरे किसी को टिकट न मिले और गम उनमें है जो पूरा जोड़-तोड़ लगाने के बाद भी कूचे से बेजार होकर निकले हैं। यह तो सर्वविदित है कि टिकट की दौड़ में विधानसभा चुनाव के समय से लोकसभा के लिए सक्रिय होकर केन्द्रीय नेताओं के आगे-पीछे लग कर चलने वालों की कमी कोरबा लोकसभा से भी नहीं थी और ये अपने आप में इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि उन्हें तो टिकट इस बार मिलेगी ही लेकिन उम्मीदों से काफी विपरीत और कोरबा लोकसभा की 8 विधानसभा में से एक भी क्षेत्र से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से निराशा देखी जा रही है। हालांकि भाजपाई, संगठन के निर्देश को शिरोधार्य कर बातों को अपने मन में दबाये बैठे हैं कि आखिर कौन सुनेगा, किसको सुनाएं, इसलिए चुप रहते हैं..।
टिकट के प्रबल दावेदारों में विकास महतो, जोगेश लाम्बा, अशोक चावलानी, देवेन्द्र पाण्डेय, डॉ. राजीव सिंह, हितानंद अग्रवाल, कोरिया-बैकुंठपुर जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार जायसवाल, एकाएक सामने आए राकेश शर्मा, रघुराज सिंह उईके, रामदयाल उईके आदि नाम शामिल रहे। इन्होंने आम जनता के बीच अपने लिए माहौल बनाने के साथ-साथ संगठन में काफी सक्रियता और मुखरता से भी काम करते नजर आये लेकिन इनमें से कोई भी एक दावेदार शीर्ष संगठन की नजर में कोरबा लोकसभा के लिए योग्य साबित नहीं हो सका। दावेदार भले ही खुले तौर पर कुछ न बोलें लेकिन दबी जुबान में यह बात तो जरूर निकली है कि, आखिर हमने संगठन का क्या बिगाड़ा? विधानसभा भी नहीं मिली और लोकसभा टिकट से भी हाथ धो बैठे हैं।
0 गुटबाजी और भितरघात का खामियाजा
इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा के नेताओं व पदाधिकारियों में गुटबाजी नहीं है, यह और बात है कि सतह पर नहीं दिखती। बीते विधानसभा चुनाव में इस गुटबाजी को नगर के लोगों ने भी महसूस किया है और भितरघात भी हुआ। संगठन के तेवर ने भले ही भितरघात को उभरने नहीं दिया लेकिन रामपुर और तानाखार विधानसभा में इसकी झलक हार के रूप में देखने को मिली। इसका सीधा असर लोकसभा की टिकट पर पडऩा पार्टी के सूत्र बताते हैं। भाजपा कोरबा सीट को भी अपने नाम कराने आतुर है और उसे इस बात की जानकारी भी है कि दावेदारों में से किसी को टिकट देने पर दूसरा गुट खेमेबाजी और टांग खिंचाई से बाज नहीं आएगा। इन हालातों में राष्ट्रीय नेत्री सरोज पाण्डेय को यहां से उतारा गया है। सरोज पाण्डेय के लिए अब सभी भाजपाईयों को गुटबाजी-भितरघात से ऊपर उठकर काम करना ही होगा वरना संगठन का डंडा तो हर वक्त तैयार है।
0 बाहरी प्रत्याशी का हल्ला मचाने वाले भी खामोश
चुनाव के दौरान स्थानीय और बाहरी का मुद्दा उछाल कर हल्ला मचाने वाले भाजपाई भी अब खामोश हो गए हैं। एक नेता ने बाहरी जनप्रतिनिधि होने का शोर खूब मचाया और वे खुद भी सांसद की टिकट के दौड़ में शामिल रहे लेकिन जब उन्हें भी आउट कर दो से तीन जिलों की सीमा पार की राष्ट्रीय नेत्री को कोरबा में उतारा गया तो बाहरी का मुद्दा उनके लिए भी स्वीकार्य हो गया है। अब देखना है कि अपने ही संगठन में बाहरी मुद्दे को ये कितनी हवा देते हैं।
[metaslider id="347522"]