छत्तीसगढ़ के पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का बुधवार रात निधन हो गया। 92 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। पद्मश्री अरुण शर्मा के निर्देश पर ही छत्तीसगढ़ में सफल उत्खनन के कई काम किए गए। पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का आज अंतिम संस्कार महादेव घाट मुक्तिधाम में किया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा सुबह 10 बजे उनके निवास चंगोराभाठा से महादेव घाट के लिए रवाना होगी।
पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा के योगदान से छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत और उनकी संपदा का सामने आना संभव हुआ है। प्रसिद्ध एतिहासिक स्थल सिरपुर और राजिम में उन्होंने पुरातात्विक उत्खनन के जरिए प्राचीन छत्तीसगढ़ के इतिहास के अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर किया ।
अरुण शर्मा सिरपुर में खुदाई में अवशेषों की जानकारी देते।
अयोध्या में कराई गई थी खुदाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर अरुण शर्मा की मांग पर ही खुदाई करवाई गई थी। उन्होंने ही खुदाई में मिले अवशेषों के रिसर्च के आधार पर कोर्ट में मंदिर होने के सबूत पेश किए थे। यही सबूत फैसले में प्रमुख आधार बने। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर वे बहुत खुश थे। उनकी आखिरी इच्छा थी कि वे रामलला के दर्शन करें, लेकिन स्वास्थयगत कारणों के कारण नहीं जा पाए।
अयोध्या के साक्ष्यों पर लिखी किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’
अरुण शर्मा ने पुरातत्व और संबंधित विषयों पर 35 से अधिक किताबें लिखी हैं। अयोध्या मामले में खुदाई के दौरान जितने भी साक्ष्य मिले, उस पर एक किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’ नाम की किताब भी अरुण शर्मा ने लिखी है। ये किताब अंग्रेजी भाषा में लिखी गई है।
[metaslider id="347522"]