सरगुजा में विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी काँग्रेस को उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान !
उदयपुर;13 फरवरी । एलजिले के उदयपुर ब्लॉक में स्थित राजस्थान राज्य विद्युत की एक मात्र खदान के सैकड़ों स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों ने पिछले एक साल में काँग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को कई पत्र लिखकर यहां की बंद पड़ी खदान के नियमित संचालन के ठोस कदम की फरियाद लगाई थी। लेकिन इन आदिवासीयों की फरियाद राहुल ने आज तक नहीं सुनी। खदान प्रभावित ग्राम घाटबर्रा, फतेहपुर, तारा, साल्ही, परसा,जनार्दनपुर, शिवनगर इत्यादि सहित कुल 14 ग्रामों के आदिवासीयों ने दिसंबर 2021 से 2022 तक कई चिट्ठीयां राहुल गांधी को लिखी थी। यहां तक की इनमें से 50 आदिवासी ग्रामीणों का समूह दिसंबर 2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी गोहार लगाने यहां से करीब 1000 किमी दूर इंदौर भी पहुँचा था। लेकिन राहुल गांधी ने ना तो इनके पत्रों का जवाब दिया और ना ही इन सभी से मुलाकात किया। नतीजतन सरगुजा के आदिवासियों ने पूरे संभाग की 14 सीटों में कमल खिला दिया।
दरअसल काँग्रेस के कद्दावर नेता और सरगुजा के महाराज टी एस सिंहदेव की जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके उदयपुर सीट में सबसे ज्यादा पकड़ थी जहां के आदिवासियों द्वारा सबसे ज्यादा एक तरफा वोट सिर्फ महाराज जी को ही पड़ता था। लेकिन इस बार उदयपुर ब्लॉक की आदिवासी जनता ने काँग्रेस पार्टी की उनके रोजगार विरोधी मुद्दों को अनदेखा करने के लिए एक बड़ा सबक तो सीखाया ही है इसके साथ साथ पूरे संभाग में एक भी सीट में काँग्रेस को बहुमत हासिल न कर पाना भी कहीं न कहीं इन आदिवासीयों का क्षेत्र में बेरोजगारी और विकास के मुद्दे पर एक गहरी सोच को दर्शाती है।
वहीं अब अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो अब राहुल गांधी पर पुनः एक नई यात्रा जिसका नाम ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ है का धुन सवार हुआ है। जबकि राहुल गांधी की पिछली भारत जोड़ों यात्रा की वजह से ही छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। छत्तीसगढ़ में भी काँग्रेस के अबकी बार 75 पार के नारे को जनता ने फिसड्डी साबित कर दिया है और वह केवल 35 सीटों में ही सिमट कर रह गई। जबकि बीजेपी की जीत उसकी पिछली मुद्दों से सीख लेकर ही चुनाव में अपनी रणनीति बनाकर चलने की लगती है। यही वजह है कि बीजेपी भारत में अधिकतम राज्यों में अपना भगवा रंग लहरा चुकी है जबकि काँग्रेस जिस मुद्दे की वजह से सरगुजा संभाग के सभी सीटों पर हारी थी अब लोकसभा चुनाव के समय फिर से वही मुद्दा उठाने की गलती दोबारा दोहरा रही है।
बीजेपी और कांग्रेस में यही फर्क है। कांग्रेस अपनी हार से सीखती नहीं। विधानसभा के बाद अब लोकसभा चुनाव में भी यह दाव उलटा पड़ने के आसार दिखने लगे हैं। कारण काँग्रेस एक बार फिर अपनी पुरानी मॉडल रूपी रणनीति को एक नया नाम ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ देकर भ्रमण की शुरुआत की है। यात्रा में गुरुवार को रायगढ़ पहुंचे राहुल गांधी अपने पूरे समय वे सिर्फ प्रधानमंत्री और यहां के कुछ बड़े कॉर्पोरेटस को कोसते नजर आते हैं। राहुल का पूरा भाषण देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले और विकसित भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कदम से कदम मिलाने वाली कंपनियों पर कटाक्ष पर ही केंद्रित है। अपने पूरे भाषण में राहुल कहीं भी ना तो गरीबी, ना बेरोजगारी और ना ही किसानों का मुद्दा जो कि अब बीती बात हो चुकी है कि बात करते दिख रहे हैं। वे अब प्रधानमंत्री की जाती या फिर भारत की कंपनियों के खिलाफ ही बोलते नजर आ रहे हैं। और उनमें से भी एक बेतुकी बात इन सभी कंपनियों में अनुसूचित जाती, जनजातीय और पिछड़ें वर्ग के लोगों की नौकरी का है जिसे अब जनता भी खुद राहुल की जानकारी पर ही माखौल उड़ाने लगी है।
इन सब में सच्चाई यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस दूरदर्शिता से भारत की विश्व में तीसरी अर्थव्यवस्था के साथ वर्ष 2047 तक 5 बिलियन डॉलर के विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अपना कदम बढ़ा रहा है। वहीं इन कॉर्पोरेट द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था में खरबों रुपये के राजस्व जमा कराने से सम्पूर्ण देश में जबरदस्त अधोसंरचनाओं का जाल फैल रहा है जो कि राहुल गांधी की बस की बात भी नहीं है। इस घड़ी में राहुल गांधी की इस तरह की यात्रा उनके द्वारा खड़ा किये गए मुद्दों जैसे देश, विकास और रोजगार विरोधी आंदोलन तथा फिजूल के मनगढ़ंत बातों से जनता को बहलाने की कोशिश मात्र है। लेकिन राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि भारत की जनता अब जागरूक हो चुकी है और वह यह सब जानती है की कौन उन्हें झूठा पाठ पढ़ा रहा है और कौन उन्हें विकास के मुद्दों से भटकाने का प्रयास कर रहा है जिसका फैसला वो हर पाँच साल में अपना वोट देकर सुनाती है। क्यूंकि राहुल जी यह पब्लिक है सब जानती है!
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