0.छात्र को रोता देख दया भी नहीं आया, टीसी निकालने की मकी देकर खींचते हुए ले गई दूसरे कक्षा में फिर छात्रों के बीच बैंच में करा दिया खड़ा
कोरबा,10 फरवरी। शहर के एक निजी स्कूल में अध्ययनरत 5वीं कक्षा के छात्र के पांव समेत शरीर पर डंडे से पहुंचे चोट के निशान देखकर जब परिजन ने पूछा तो बच्चे ने रोते हुए स्कूल की एक शिक्षिका द्वारा अभद्र व्यवहार करते हुए डंडे से लगातार पीटने और दूसरे छात्रों के बीच बैंच में खड़ा रखकर जलील करना बताया। छात्र के पिता ने जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले की लिखित शिकायत कर शिक्षिका पर कार्रवाई की मांग की है।पढ़े पीड़ित छात्र के पिता की शिकायत पत्र मैं रामचंद श्रीवास पुरानी बस्ती कोरबा का निवासी हूँ।
मेरा पुत्र श्री अग्रसेन पब्लिक स्कुल दरी रोड कोरबा में कक्षा 5वीं का नियमित छात्र है, पढाई मे अच्छा है, जो कि दिनांक 08.02.2024 को प्रतिदिन की भांती स्कुल जाकर अपने कक्षा में पठन-पाठन कर रहा था, उक्त समय इंग्लिश पिरियड के दौरान उक्त स्कुल की शिक्षिका नाज परविन सिद्दीकी कक्षा लेने के दौरान मेरे पुत्र देव श्रीवास से कॉपी की मांग की गई, कॉपी नही मिलने की बात पर अत्यधिक नाराज होकर मेरे पुत्र के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग कर बिना कुछ सोचे समझे ही लकडी के डण्डे से लगातार 20-25 डण्डे मारी, जबकि स्कुल ड्रेस में हॉफ पैंट पहनना होता है, फिर भी पैरो पर लगातार डण्डा मारने से दोनो पैर जख्मी हो गये और पैरो पर निशान पड गया, पीठ और कंधे पर भी मारी है, जिस दौरान मेरा पुत्र लगातार रो रहा था, फिर भी उस निर्दयी शिक्षिका को दया नही आया और लगातार अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मारपीट करती रही।
इसके बाद भी शिक्षिका का गुस्सा शांत नही हुआ और मेरे पुत्र को टी.सी. निकालने की धमकी देते हुए खिंचकर दूसरे कक्षा में अन्य विधार्थीयो के बीच बैंच पर लगभग पूरे पिरियड के दौरान मेरे पुत्र को खड़ा रखा गया। ऐसा दो कक्षाओ में किया गया, शिक्षिका के इस प्रकार के कृत्य से यह जान पडता है कि शिक्षिका अपने शिक्षक के कर्तव्यो को भूलकर अपने घर के गुस्सा को शांत करने के लिए स्कुल आती है। उक्त कृत्य स्थिति में मेरा पुत्र अत्यंत डरा व सहमा हुआ भय का जीवन व्यतीत कर रहा है, कुछ बोल नही पा रहा है और न ही हंस खेल पा रहा है, स्कुल के नाम पर डर जा रहा और अब मैं स्कुल नही जाउंगा बोलकर लगातार रो रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है कि, मेरे पुत्र का मानसिक स्थिति अत्यधिक बिगड़ चुका है व उसका शिक्षण जीवन समाप्त हो रहा है। यदि मेरे पुत्र के साथ कोई भी अप्रिय घटना घटित होती है या वह शारीरिक व मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी उक्त शिक्षिका एवं स्कुल प्रबंधन की होगी।
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