बिलासपुर,06 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा था कि उन्हें मोरिंगा यानी ड्रमस्टिक बहुत पसंद है और वो मोरिंगा यानी मुनगा के पत्तों के पराठे सप्ताह में एक या दो बार जरूर खाते हैं। छत्तीसगढ़ में वैसे तो आदिकाल से मुनगा को काफी पसंद किया जाता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों से बिलासपुर में इसका बंपर उत्पादन भी होने लगा है। इस साल 9000 टन निर्यात का लक्ष्य है।
मुनगा को देश में अलग-अलक कई नामों से जाना जाता है। इसे मोरिंगा, ड्रमस्टिक या सहजन भी कहते हैं। छत्तीसगढ़ में इसे मुनगा के नाम से जाना जाता है। सब्जी के रूप में इसे खूब पसंद भी किया जाता है। यह इतना फायदेमंद है कि आयुर्वेद में इसे तमाम समस्याओं को दूर करने के लिए औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि हर साल बड़े पैमाने पर बिलासपुर से इसका निर्यात होता है।
जीवनदायिनी अरपा नदी भी अब ‘सहजन’ रूपी धन प्रदान कर रही है। कोरोना महामारी के बाद से पश्चिम बंगाल के साथ बिहार, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश से खूब मांग आने लगी है। विदेश में भी निर्यात किया जा रहा है। वर्ष 2019-20 में 6,980 टन सहजन निर्यात किया गया था। इसके बाद वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण निर्यात कम हुआ। वहीं 2022 में 7,800 टन निर्यात किया गया। पिछले साल 8,100 टन निर्यात किया गया है।
टाइप 2 डायबिटीज व मोटामा पर असरकारक
गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में मुनगा पर शोध जारी है। विभागाध्यक्ष डा. अश्विनी दीक्षित कहते हैं कि इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। मुनगा में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, ये आटोइम्युन बीमारियों और चोट या संक्रमण के कारण आई सूजन को दूर करने का काम करता है। टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा, अस्थमा, सिर दर्द, हाई ब्लड प्रेशर आदि में भी ये काफी फायदेमंद माना गया है। सूप बनाकर भी लिया जा सकता है।
रेलवे से विदेश तक निर्यात
कंबोडिया, फिलीपींस, श्रीलंका व अफ्रीकी देशों में मुनगा खूब पसंद किया जाता है। न्यायधानी के रेलवे परिक्षेत्र में 24 वर्ष पहले कुछ रेल कर्मचारियों ने शौक के रूप में इस पेड़ को अपने आवास के आसपास लगाया था। अब यह सहजन पूरे इलाके में फैल चुका है। तोरवा से लेकर दयालबंद अरपा तट तक बड़ी संख्या में इसके पेड़ हैं।
मंडी व बाजार में 90 रुपये प्रतिकिलो भाव
तिफरा सब्जी मंडी के थोक व्यापारी कोमल राम डडसेना का कहना है कि मुनगा से आसपास के कई युवा और व्यापारी खूब धन कमा रहे हैं। बीते वर्ष बुधवारी बाजार व तिफरा मंडी में 80 रुपये प्रति किलो भाव था। इस साल भी पतला मुनगा का भाव 90 से 100 रुपये के बीच है। मोटा होने पर इसकी मांग घट जाती है। इसका निर्यात भी नहीं होता। चिल्हर बाजार में लोग इसे 60 से 80 रुपये में खरीदते हैं।
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