रायपुर, 04 फरवरी । देश में शिक्षा गुणवत्ता और शिक्षा के बेहतर विकास के लिए आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस की तरह “भारतीय शिक्षा सेवा” (आई.ई.एस.) परीक्षा के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग में अधिकारियों का चयन किये जाने की शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह द्वारा मांग की गई हैं । छत्तीसगढ़ राज्य में इसकी शुरुआत “राज्य शिक्षा सेवा” परीक्षा (एस.ई.एस.) के माध्यम से किये जाने की मांग की गई हैं।
प्रख्यात शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह राष्ट्रीय संयोजक “अखिल भारतीय प्रगतिशील एवं नवाचारी शिक्षक महासंघ” ( All India Progressive and innovative Teacher’s Federation AIPITF ) ने देश में शिक्षा के गुणवत्ता विकास और भविष्योंमुखी शिक्षा को उत्कृष्टता की ओर ले जाने के लिये तथा देश में शिक्षा के बेहतर विकास के लिए अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस की तरह “अखिल भारतीय शिक्षा सेवा” (आई.ई.एस.) परीक्षा की शुरुआत करने की मांग की हैं। शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह ने प्रदेश के पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विगत वर्ष जारी किए गए छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए बताया कि उक्त आदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के दो अधिकारियों की पोस्टिंग “अपर संचालक” के पद पर कार्यालय संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ रायपुर में की गई थी । जिसके विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका दायर करके चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के द्वारा जिस पर बाद में रोक लगा दी गई थी। किंतु ये विचारणीय प्रश्न हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग में राज्य प्रशासनिक सेवा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को पदस्थ किया जाना कहां तक न्यायसंगत और उचित हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में राजपत्रित प्रथम श्रेणी तथा राजपत्रित द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की सेवानिवृति होने से लगातार कमी होते जा रही हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में एक तरफ 11 वर्षो से नियमित व्याख्याता एवं प्रधान पाठकों से राजपत्रित द्वितीय श्रेणी के प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं दी गई हैं । प्रदेश में 3266 से अधिक शासकीय हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल में पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं हैं। जहां प्रभारी के भरोसे काम चलाया जा रहा हैं। प्राचार्य पद जो कि स्कूल शिक्षा विभाग में राजपत्रित प्रथम श्रेणी तथा राजपत्रित द्वितीय श्रेणी का प्रशासनिक तथा एकेडमिक महत्वपूर्ण पद होता हैं। उक्त प्राचार्य पद को पार करके ही विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, उप संचालक, संयुक्त संचालक,अपर संचालक जैसे उच्च पद पर पदस्थापित होने का अवसर मिलता हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य तथा विकास खण्ड शिक्षा अधिकारियों से पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने वाले इन पदों पर कार्यरत अधिकारियों के लिए स्कूल शिक्षा विभाग की मूल अवधारणा तथा नितांत आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में डी. एड., बी.एड., एम.एड. आदि व्यवसायिक डिग्री का होना बहुत जरूरी हैं। राष्ट्रीय संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग का बेसिक मूल मंत्र “बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली” पर बेस्ड हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में “शिक्षक प्रशिक्षण” का बड़ा व्यापक महत्व हैं , क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग की समस्त शैक्षणिक गतिविधियां एवं क्रियाकलाप बाल मनोविज्ञान पर आधारित होती हैं । ऐसे में यह चिंतनीय हैं कि बिना डी. एड., बी.एड., एम.एड. आदि व्यवसायिक डिग्री के अप्रशिक्षित अधिकारियों के द्वारा बिना बालमनोविज्ञान को समझे और जाने बिना “शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं” का संचालन कैसे किया जा सकता हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य सहित देश के सभी प्रदेशों में हजारों की संख्या में युवा प्रतिवर्ष कला, वाणिज्य, विज्ञान, कंप्यूटर साइंस आदि विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री के साथ बैचलर ऑफ एजुकेशन बी.एड., मास्टर ऑफ एजुकेशन एम.एड. की व्यवसायिक डिग्री हासिल करते हैं, अनेक प्रतिभाशाली युवा एजुकेशन विषय में पी.एच.डी. की डिग्री भी हासिल करते हैं, जिनके लिए शासकीय सेवाओं में वर्तमान में केवल सहायक शिक्षक, उच्च वर्ग शिक्षक, व्याख्याता के पद पर भर्ती का मार्ग खुला होता हैं अथवा उनके लिए केवल प्राइवेट स्कूलों में टीचर्स के रुप में कार्य करने का अवसर होता हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में लोक सेवा आयोग के माध्यम से “राज्य शिक्षा सेवा” परीक्षा (एस.ई.एस.) की शुरुआत होने से हायर सेकंडरी स्कूल प्राचार्य, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, उप संचालक, संयुक्त संचालक, अपर संचालक जैसे पदों पर योग्य एवं प्रतिभाशाली युवाओं को आगे आने का मौका मिलेगा। शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि इसी प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय लोक सेवा आयोग के माध्यम से “भारतीय शिक्षा सेवा परीक्षा” (आई.ई.एस.) की शुरुआत की जावें, जिससे भारतीय प्रशासनिक सेवा आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ. एस. की तर्ज पर भारतीय शिक्षा सेवा ( Indian Education Service , IES) आई.ई .एस. के माध्यम से शिक्षा में दक्ष एवं कुशल शैक्षिक प्रशासन के अधिकारियों का चयन होगा , जिससे देश में शिक्षा की स्थिति को उत्कृष्ट बनाया जा सकेगा।
राज्य शिक्षा सेवा परीक्षा (एस.ई.एस.) तथा अखिल भारतीय शिक्षा सेवा (आई.ई.एस.) के प्रारंभ होने से देश और प्रदेश में शिक्षा के गुणवत्ता विकास और शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में मदद मिलेगी तथा देश और प्रदेश में शिक्षा के विकास और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा । उल्लेखनीय हैं कि छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित अन्य राज्यों में राज्य शिक्षा सेवा परीक्षा (एस.ई.एस.) तथा राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय लोक सेवा आयोग द्वारा भारतीय शिक्षा सेवा परीक्षा (आई.ई.एस.) की शुरुआत करने के लिए शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह राष्ट्रीय संयोजक के नेतृत्व में अखिल भारतीय प्रगतिशील एवं नवाचारी शिक्षक महासंघ (AIPITF) द्वारा पहल कर व्यापक रूप से अभियान चलाया जा रहा हैं। जिसे हजारों की संख्या में युवाओं सहित शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का समर्थन मिल रहा हैं।
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