हसदेव क्षेत्र में मब्स की स्थानीय आदिवासी महिलाओं ने राजस्थान और मध्यप्रदेश से पहुंचने वाले विधायकों को किया आमंत्रित, कहा – एक बार हमारे यहां भी पधारो सा!

अंबिकापुर, 04 फरवरी 2024: हसदेव अरण्य क्षेत्र में 250 आदिवासी महिलाओं के एक समूह द्वारा चलाए जा रहे ‘महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति (मब्स) ने छत्तीसगढ़ आ रहे नवनिर्वाचित आदिवासी विधायकों को आमंत्रण पत्र भेजा है। राजस्थान और मध्यप्रदेश से चार आदिवासी विधायक हसदेव अरण्य क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। जिसकी जानकारी मिलते ही मब्स में कार्यरत इन आदिवासी महिलाओं ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के सहयोग से उनके द्वारा आजीविका संवर्धन को देखने के लिए आमंत्रित किया है। इन महिलाओं की यह इच्छा है,कि चूंकि आदिवासी विधायक हसदेव अरण्य के लिए सोशल मीडिया में फैलाए जा रहे भ्रामक जानकारियों की टोह लेने के लिए हसदेव के गावों में जाकर लोगों से मिलेंगे अतः ये सभी बंधु उनके भी गांव में आकर भी उनसे मुलाकात और चर्चा करें।

मब्स की अध्यक्ष श्रीमती अमिता सिंह टेकाम ने 3 फरवरी 2024 को श्री कमलेश्वर डोडियार विधायक – सैलाना, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के तीन विधायको थावर चंद डामोर विधायक – धरियावाद, उमेश डामोर विधायक – आसपुर, और राजकुमार रोत विधायक – चौरासी, को दिए अपने विशेष आमंत्रण पत्र में लिखा है कि, “सरगुजा के हसदेव क्षेत्र में सुदूर आदिवासी अंचल में स्थित महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति (मर्यादित) (मब्स), जिले में रहने वाली आपकी आदिवासी बहनों की सहकारी समिति है जो की राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत साल 2017 में निर्मित की गई थी। यह समिति अपने क्षेत्र में आज विविध व्यावसायिक उत्पादों की पहल से सालाना करीब 1.5 करोड़ की आय के साथ आजीविका मिलने से यहां की सैंकड़ों बहनें अपने परिवारों को सशक्त बना रही है। मब्स द्वारा किये जा रहे कार्यों में से प्रमुख और बड़ा कार्य राजस्थान राज्य विद्युत द्वारा यहां के आदिवासी बच्चों की आधुनिक शिक्षा के लिए चलाए जा रहे केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड की एक मात्र अंग्रेजी माध्यम का स्कूल जहां हमारे भी बच्चे पढ़ते हैं, में पढ़ने वाले 800 से अधिक बच्चों के लिए मुफ्त जलपान तथा मध्यान्ह भोजन तैयार करने और यूनिफॉर्म सिलाई का कान्ट्रैक्ट है। इसके अलावा हमारी MUBSS की बहनों द्वारा संचालित मसाला उद्योग, सेनीटरी पैड उद्योग, डेयरी, फ़िनाइल और हाथ धोने का साबुन, चावल की सफाई के लिए छोटी राइस मिल, केंचुआ खाद निर्माण और मशरूम उत्पादन भी शामिल है। हमारे इन प्रयासों को सरकारी और गैर सरकारी संगठनों ने काफी सराहा है और बढ़ावा भी दिया है। इसके अलावा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी राजस्थान विद्युत निगम एक आधुनिक शिक्षा पद्धति के अंग्रेजी माध्यम की CBSE स्कूल द्वारा सैकड़ों बच्चों को मुफ़्त शिक्षा, किताबें, यूनिफॉर्म और परिवहन मुहैया करवा रहा है। वहीं कमजोर बच्चों के लिए अलग से क्लास की व्यवस्था और स्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए विशेषज्ञों द्वारा कोचिंग एवं ऑनलाइन कोचिंग के लिए टैब की भी व्यवस्था की है। हमारे परिवार राजस्थान विद्युत निगम द्वारा चलाए जा रहे दवाखाने और किसान क्लब जैसे संस्थानों से भी लाभान्वित है।

पत्र में यह भी लिखा कि आप हमारे आदिवासी भाई राजस्थान और मध्य प्रदेश से स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और हमें यह सूचना मिली है, कि आप लोग सरगुजा तक आदिवासियों से मिलने के लिए आ रहे हैं। हम इस मौके पर आपको हमारे सदस्यों से मुलाकात तथा चर्चा एवं हमारे व्यवसायिक संस्थानों में भ्रमण के लिए सादर आमंत्रित करते हैं। हम सरगुजा में रहने वाली बहनों ने राजस्थान सरकार के विद्युत निगम की मदद से जो सफल उद्यम बनाए हैं उनको देखने और समझने के लिए आप सभी भाइयों से अनुरोध करते हैं। ताकि आप कुछ मुठ्ठीभर बाहरी लोगों द्वारा भारी खर्चे से सोशल मीडिया मे चलाए जा रहे दुष्प्रचार से भ्रमित ना हो।

महिलाओं ने यह जानकारी भी साझा की, कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत सरकार ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान सरकार को सरगुजा स्थित पीईकेबी खदान आवंटित की थी जो की तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समय पर कार्यान्वित हुई। उल्लेखनीय है की समय समय पर बदल रही राज्य और केंद्र सरकारों ने पीईकेबी खदान को राजस्थान के करोड़ों विद्युत उपभोक्ता और सुरगुजा जिले के हजारों परिवारों के हित में समर्थन मिलता रहा है। इसके पीछे एक कारण यह भी है की राजस्थान के विद्युत निगम ने सतत और व्यापक वृक्षारोपण अभियान से लाखों पेड़ लगाकर हसदेव के जंगल में और भी हरियाली फैलाई है।

अमिता सिंह टेकाम ने पत्र में बताया कि हसदेव के इस दुर्गम क्षेत्र में खदान के अलावा रोजी-रोटी का और कोई साधन नहीं है और अब हम महुआ और अन्य चीजों को इकट्ठा करके केवल वन पर आश्रित नहीं रह सकते। हम भी चाहते हैं कि हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ें, अच्छी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। हम भी बाइक और कार और अच्छा भोजन चाहते हैं। हमें भी पक्के घरों में रहने का पूरा अधिकार है और इसे महुआ इकट्ठा करके नहीं बनाया जा सकता है। अतः मेरे आदिवासी नेता भाइयों से निवेदन है कि हमारे लिए और भी अलग-अलग सुविधाएं मुहैया करवाएं ताकि हम दूसरों के बराबर रह सकें।

अब देखना यह है की विधायक गण इन महिलाओं का निमंत्रण स्वीकार करके उनकी चर्चा मे शामिल होते हैं या फिर रुटिन में आने वाले अन्य आंदोलनजीवीयों की तरह सिर्फ राजनीति को प्रेरित करते हैं।